मिर्ज़ापुर
सिपाही बाबा की दरगाह पर जुटेंगे श्रद्धालु, मनेगा सूफी परंपरा का पर्व

मिर्जापुर। आध्यात्मिक ऊर्जा और सूफी प्रेम का प्रतीक, तेइसवाँ सालाना उर्स मुबारक 23 से 25 अप्रैल 2025 तक भव्य रूप से मनाया जाएगा। यह आयोजन सूफी संत गौस-ए-वक्त महबूबे रब्बानी हजरत हाजी नूर मोहम्मद शाह और उनके प्रमुख खलिफा हजरत सूफी मोहम्मद जान, जिन्हें सिपाही बाबा के नाम से भी जाना जाता है, की पावन स्मृति में भिस्कुरी शरीफ, नूरी नगर, मिर्जापुर स्थित जसोवर पहाड़ी, ईदगाह के पीछे आयोजित किया जा रहा है।
सूफी परंपरा में उर्स मुबारक किसी संत की पुण्यतिथि नहीं, बल्कि उनके प्रभु-प्राप्ति के दिन का जश्न होता है। यह तीन दिवसीय आयोजन प्रेम, शांति और आध्यात्मिक एकता का संदेश लेकर आता है। हजरत हाजी नूर मोहम्मद शाह और सिपाही बाबा ने अपने जीवन में इंसानियत, भाईचारा और करुणा की जो मशाल जलायी, वह आज भी भक्तों के दिलों को रोशन कर रही है।
उर्स के दौरान कुरान ख्वानी, नात-ए-पाक, मनकबत, सूफी तकरीरें और चादरपोशी की रस्में अदा की जाएंगी। दरगाह पर चादर चढ़ाने और नजर-ओ-नियाज अर्पित करने की परंपरा के साथ, सूफी संगीत और कव्वालियों की महफिल-ए-समा माहौल को रूहानी रंग में रंग देगी। हर वर्ष की तरह इस बार भी लंगर की विशेष व्यवस्था रहेगी, जिसमें सभी श्रद्धालुओं को नि:शुल्क भोजन वितरित किया जाएगा – यह सूफी परंपरा में सेवा और समानता का प्रतीक है।
सिपाही बाबा, जिन्होंने हजरत हाजी नूर मोहम्मद शाह के मार्गदर्शन में सूफी सिद्धांतों का प्रचार किया, आज भी लाखों लोगों के दिलों में श्रद्धा और भक्ति के केंद्र बने हुए हैं। उनकी दरगाह न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि एक ऐसा स्थान है जहाँ सभी धर्मों और समुदायों के लोग एकत्र होकर आध्यात्मिक शांति का अनुभव करते हैं।
आयोजकों की ओर से सभी श्रद्धालुओं से विनम्र अनुरोध किया गया है कि वे इस पवित्र मौके पर अधिक से अधिक संख्या में शामिल हों और सूफी संतों की शिक्षाओं को अपने जीवन में आत्मसात करें। आयोजन स्थल पर सुरक्षा, स्वच्छता और अन्य सभी आवश्यक व्यवस्थाओं का विशेष ख्याल रखा जाएगा।
तेइसवाँ सालाना उर्स मुबारक एक ऐसा मौका है जहाँ भक्ति, सेवा और सूफी संस्कृति के रंग एक साथ खिलते हैं। आइए, 23 से 25 अप्रैल 2025 तक सिपाही बाबा के आशीर्वाद में डूब जाएं और इस रूहानी महोत्सव का हिस्सा बनें।