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वाराणसी

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने वृद्धाश्रम में आयोजित किया महिला सम्मेलन

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वाराणसी। दीक्षांत समारोह से पूर्व संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के गृह विज्ञान विभाग, आधुनिक ज्ञान विज्ञान संकाय के तत्वावधान में राजकीय वृद्ध एवं अशक्त महिलाओं के लिए आवासीय गृह, दुर्गा कुंड, वाराणसी में महिला सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय की सामाजिक जिम्मेदारी और मानवीय मूल्यों के संवर्धन का प्रतीक माना गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. नीलम गुप्ता, प्राचार्य, राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, वाराणसी ने “वृद्धाश्रम में महिलाओं की भावनात्मक जरूरतें और समर्थन” विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वृद्धावस्था में महिलाओं की सबसे बड़ी आवश्यकता भावनात्मक सहारा और अपनापन है। उन्होंने बताया कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य तभी सुदृढ़ रह सकता है जब व्यक्ति को समाज से संवाद और स्नेह प्राप्त हो। वृद्ध आश्रम में महिलाओं का योगदान विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे देखभाल, समर्थन और सेवा की भावना को जीवित रखते हुए वृद्धजनों के जीवन में ममता, सहानुभूति और सहयोग का संचार करती हैं।

कार्यक्रम की संयोजक प्रो. विधु द्विवेदी ने कहा कि यह सम्मेलन विश्वविद्यालय की सामाजिक जिम्मेदारी और मानवीय मूल्यों के संवर्धन का प्रतीक है। उन्होंने वृद्धजनों के प्रति सेवा, देखभाल, सामाजिक समर्थन और स्वास्थ्य-संबंधी गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया।

कार्यक्रम में सह-संयोजक देव शरण सिंह ने वृद्ध महिलाओं की व्यावहारिक समस्याओं, स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं और उनकी दैनिक दिनचर्या पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्राध्यापक अनुराग पाण्डेय, आकाश कुशवाहा, शुभम तिवारी, रोहित मिश्र, शोधार्थी, छात्राएँ एवं वृद्धाश्रम की निवासी महिलाएँ उपस्थित रहीं। इसमें लगभग 25 वर्षों से निवास कर रही शांति, सोमवती, पार्वती, मालती, इंद्रा, शोभा, शकुन्तला सहित अन्य वृद्ध माताओं ने भी भाग लिया।

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उपस्थित सभी ने वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान, सहयोग एवं संवेदनशील समाज के निर्माण हेतु योगदान देने का संकल्प लिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. कंचन पाठक ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अनुराग पाण्डेय ने प्रस्तुत किया। उपस्थित महिलाओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए समाज में अपनापन बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।

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