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आजमगढ़

संत निरंकारी मिशन के क्रिकेट टूर्नामेंट का भव्य समापन

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खिलाड़ियों ने दिखाया अद्भुत कौशल

आजमगढ़। संत निरंकारी मिशन सत्संग भवन हरबंशपुर, आजमगढ़ जोन 61 से मीडिया सहायक डॉ. बीरेन्द्र कुमार सरोज ने जानकारी दी कि 25वें बाबा गुरबचन सिंह मेमोरियल क्रिकेट टूर्नामेंट (रजत जयंती) का भव्य समापन संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, समालखा (हरियाणा) में हुआ। सेवा, समर्पण और एकत्व के पावन संदेश को साकार करते हुए इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में देशभर की 24 सर्वश्रेष्ठ टीमों ने भाग लिया।

टूर्नामेंट 26 फरवरी 2025 से शुरू हुआ और इसमें खिलाड़ियों ने न सिर्फ खेल कौशल बल्कि आध्यात्मिक मूल्यों का भी प्रदर्शन किया।इस प्रतियोगिता के सेमीफाइनल चरण में भटिंडा, बरेली, आगरा और चंडीगढ़ की टीमें पहुंचीं, जिन्होंने शानदार खेल भावना का परिचय दिया। 13 मार्च 2025 को हुए फाइनल मुकाबले में आगरा और भटिंडा की टीमों के बीच जबरदस्त प्रतिस्पर्धा देखने को मिली।

आगरा की टीम ने अनुशासन और कौशल का बेहतरीन परिचय देते हुए जीत हासिल की। दीपक राजपूत (आगरा) को ‘मैन ऑफ द सीरीज’ का खिताब मिला। टूर्नामेंट के दौरान खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करने के लिए उन्हें प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।संपूर्ण आयोजन सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन निर्देशानुसार, आदरणीय श्री जोगिंदर सुखीजा जी (सचिव, संत निरंकारी मंडल) के नेतृत्व में संपन्न हुआ। उन्होंने कहा कि यह टूर्नामेंट मात्र प्रतिस्पर्धा का मंच नहीं था, बल्कि आपसी सौहार्द, प्रेम और एकत्व को जीवंत करने का माध्यम बना।

समापन समारोह में मुख्य अतिथि आदरणीय श्री एस. एल. गर्ग (कन्वीनर, केंद्रीय योजना सलाहकार बोर्ड) ने विजेता टीम को ट्रॉफी प्रदान की। संत निरंकारी मंडल की प्रधान, आदरणीय श्रीमती राजकुमारी जी ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में कहा कि खेल केवल जीत और हार तक सीमित नहीं होते, बल्कि आत्म-विकास, अनुशासन, टीम भावना और सामूहिक समर्पण के प्रतीक भी हैं।

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यह आयोजन केवल एक खेल प्रतियोगिता नहीं था, बल्कि यह सतगुरु माता जी की शिक्षाओं से प्रेरित एक आध्यात्मिक अभियान था, जिसमें प्रेम, सौहार्द और विश्वबंधुत्व का उत्कृष्ट प्रदर्शन हुआ। खिलाड़ियों ने मैदान पर केवल जीतने के लिए नहीं, बल्कि मानवता के उच्चतम मूल्यों को अपनाने और प्रसारित करने के उद्देश्य से हिस्सा लिया। संत निरंकारी मिशन के इस अनुकरणीय प्रयास ने यह सिद्ध किया कि खेल केवल प्रतिस्पर्धा तक सीमित नहीं होते, बल्कि प्रेम, सेवा और एकत्व को जीने का सशक्त मंच भी बन सकते हैं।

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