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वाराणसी

श्रावण मास मे शिवभक्तो का सेवा कर स्थापित किया समाजवाद का समन्वय

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वाराणसी। बना रहे रस जिसे गर्व से के साथ हिन्दुस्तान मे लोग शिद्दत के साथ बनारस कहते है। सभ्यता संस्कृति और साहित्य और मोक्ष की नगरी काशी वाराणसी मे काशीवासी अपने निराले अंदाज के लिए चर्चित रहे हैं। बदलते परिवेश मे समय के साथ उसमें बदलाव भी होते रहे हैं। बाबा भोलेनाथ के त्रिशूल के नोक पर बसी काशी मे भांग-बूटी ठंडई, बहरी अलंग और साफा पानी का पुराना अंदाज अब पहले वाली रंगत में परिवेश दिखाई नहीं देता भोलेनाथ की नगरी काशी मे कुछ नयापन जरुर नजर आता है, वह भी समाजसेवा के क्षेत्र से जुड़ा हुआ।
आश्चर्य की बात है कि समाजसेवा के क्षेत्र में भी काशी का अंदाज अलग है। जो हुआ है एवं सेवा कर छाप छोड़ा है वह दिलचस्प के साथ यादगार भी है। काशी मे दो दशक पहले शुरु किया गया एक छोटा प्रयास आज काशी मे कीर्तिमान अभिनव बनकर अपनी अलग पहचान बना चुका है। काशी मे श्रावण मास मे शिवभक्तो का प्रत्येक सोमवार को सेवा कर ओम नमः शिवाय का खुशबू पुरे बनारस मे बिखेरने वाले बाबा भोलेनाथ के अराध्य सेवक लक्ष्मीकांत कांत मिश्रा उर्फ “किशमिश गुरु” के नाम से विख्यात शख्सियत अपने मृदुभाषी अंदाज से लोगो का सेवा कर समर्थक बनाने वाले “किशमिश गुर”
दो दशक पहले बाबा विश्वनाथ जी के चौखट के समीप नगर के बांसफटक मुहल्ले में शिवभक्तों की सेवा का प्रयास शुरु किया गया था। श्रावण मास मे सेवा भाव का लगातार प्रयास का यह इक्कीसवां वर्ष है । श्रावण मास मे प्रथम सोमवार से लेकर तृतीय सोमवार को समाजवादी साथीओ ने शिवभक्तों की निरंतर सेवा किया।
इस सेवा भाव का सबसे महत्वपूर्ण पहलू एवं परंपरा को शुरु करने वाले लक्ष्मीकांत मिश्रा “किशमिश गुरु” के बच्चे अपने रोजाना के खर्च करने वाले पैसो को इकत्र कर पूरे एक वर्ष बचत कर अपने गुल्लक को तोड़कर पैसे निकाल कर सेवा के लिए समर्पित कर देते हैं। समाजवादी कर्मठ सिपाही लक्ष्मीकांत मिश्रा “किसमिस गुरू” की पुत्री अदिती मिश्रा एवं शिवभक्तो की सेवा करने वाले आदित्य मिश्रा व आदेश मिश्रा अपने अपने गुल्लक के अस्थाई बैंक मे एकत्र की गई धनराशि से शिवभक्तों की सेवा के काम में खर्च की जाती है। सेवा के इस काम के लिए किसी से सहयोग राशि अब तक नहीं ली गई और न ही उसकी अपेक्षा है। बच्चों के गुल्लक से मिली धनराशि और किशमिश गुरु का अनुठे प्रयास को इस सेवा भावना को समर्पण करते है। श्रावण मास मे शिवभक्तो की सेवा और समाजवादियों के समन्वय की यह अनोखा मिसाल काशी के नगरी मे श्रावण मास मे देखने को मिलती है ।
श्रावण मास के तृतीय चरण के सोमवार पर शिवभक्तो मे गाय के दुध से निर्मित ग्यारह सौ किलो के दही से लस्सी पन्द्रह हजार से अधिक शिवभक्तो एवं श्रद्धालुओ मे लस्सी वितरण किया गया । कार्यक्रम मे प्रमुख रूप से सपा के पूर्व महानगर अध्यक्ष विष्णु शर्मा ( विश्वकर्मा), पूर्व पार्षद विजय यादव “विज्जु”, अमिताभ दिक्षित,गोविंद यादव,बसंत गुप्ता,अंबरीश जायसवाल,राहुल यादव,रवि जैन,प्रदीप साहू,कमल तिवारी,महेश यादव,बबलू तिवारी,बाशू सिंह,रवि यादव,पूर्व पार्षद बलवंत सिंह,गोपाल यादव, सत्यनारायण यादव, गुप्ता,सुमित यादव,संजय दूबे,ईमरान अहमद “बबलू”,खुर्शीद भाई,अनुप मालवीय,मुजीब भाई,शुभम सेठ,सोनू बबलू यादव सहित कई दर्जन सेवा करने वाले सेवक उपस्थित थे ।

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