धर्म-कर्म
वैशाख पूर्णिमा 23 मई को, जानें स्नान से लेकर पूजा तक के मुहूर्त
कूर्म अवतार, बुद्ध जयंती और वैशाख मास के स्नान का अंतिम दिन, जानिए बुद्ध पूर्णिमा से जुड़ी खास बातें
23 मई को वैशाख मास की अंतिम तिथि यानी पूर्णिमा है। धर्म के नजरिए से ये बहुत खास तिथि है, क्योंकि इस तिथि पर कूर्म अवतार का प्रकट उत्सव और भगवान बुद्ध की जयंती मनाई जाती है। इसी दिन वैशाख मास के स्नान भी खत्म होंगे। इस दिन स्नान दान का समय सुबह 4:04 से लेकर सुबह 5:26 मिनट तक रहेगा।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक वैशाख मास में गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा, गोदावरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। कई भक्त पूरे वैशाख महीने में रोज नदी स्नान करते हैं। वैशाख मास के स्नान की अंतिम तिथि 23 मई को है। वैशाख पूर्णिमा पर जो लोग नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। प्रात:काल में स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य देकर बहते जल में तिल प्रवाहित करें। पीपल के वृक्ष को भी जल अर्पित करना चाहिए।
इस दिन चूंकि कुछ क्षेत्रों में शनि जयंती भी मनाई जाती है, इसलिए शनिदेव की तेल, तिल और दीप आदि जलाकर पूजा करनी चाहिए। शनि चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं या फिर शनि मंत्रों का जाप कर सकते हैं। अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा भी अवश्य देनी चाहिए।
‘समुद्र मंथन के लिए विष्णु जी ने लिया था कूर्म अवतार’
पौराणिक कथा के मुताबिक, महर्षि दुर्वासा ने देवराज इंद्र को उनके घमंड की वजह से शाप दिया था। शाप की वजह से देवताओं का ऐश्वर्य खत्म हो गया। इसके बाद मदद के लिए इंद्र भगवान विष्णु के पास पहुंचे। विष्णु जी ने कहा कि देवताओं का ऐश्वर्य वापस लाने के लिए हमें समुद्र मंथन करना होगा। भगवान विष्णु ने इंद्र से कहा था कि समुद्र मंथन के लिए असुरों की भी मदद लेनी होगी। इस समुद्र मंथन से कई दिव्य रत्न निकलेंगे और अमृत भी निकलेगा, जिसे पीने वाला अमर हो जाता है।
देवराज इंद्र ने मंथन के लिए असुरों को भी तैयार कर लिया। मंथन के लिए मंदराचल पर्वत को मथनी बनाया गया और नागराज वासुकि को नेती बनाया गया।जब मंदराचल को समुद्र में डालकर मंथन करना शुरू किया, तो आधार नहीं होने के पर्वत समुद्र में डुबने लगा। उस समय भगवान विष्णु ने बहुत बड़े कूर्म यानी कछुए का अवतार लिया और अपनी पीठ पर मंदराचल पर्वत को धारण कर लिया। इसके बाद समुद्र मंथन हो सका। माना जाता है कि जिस दिन विष्णु जी कूर्म अवतार लिया था, उस दिन वैशाख मास की पूर्णिमा ही थी।
वैशाख पूर्णिमा पर ही हुआ था गौतम बुद्ध का जन्म – बौद्ध धर्म से संस्थापक भगवान बुद्ध का जन्म वैशाख पूर्णिमा पर ही हुआ था। गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था। इनका प्रारंभिक नाम सिद्धार्थ था। बाद में इन्हें दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ और फिर वे बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हुए।