वाराणसी
विश्वकर्मा सम्मान योजना चुनावी छलावा और वोट की राजनीति:अशोक विश्वकर्मा
रिपोर्ट – प्रदीप कुमार
वाराणसी। ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा ने प्रधानमंत्री द्वारा घोषित विश्वकर्मा सम्मान योजना को वोट की राजनीति बताते हुए कहा है कि यह योजना मात्र चुनावी छलावा है। मोदी सरकार इस योजना के माध्यम से आगामी चुनाव में जाति आधारित परंपरागत कारीगरों का वोट साधना चाहती है। उन्होंने कहा उत्तर प्रदेश में 26 दिसंबर वर्ष 2018 से ही विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना लागू एवं संचालित है। विश्वकर्मा सम्मान योजना के जरिए भाजपा ओबीसी जातियों को साधने की कोशिश कर रही है। मोदी सरकार इससे जाति जनगणना की मांग को भी कुंद करना चाहती है। सरकार की नजर देश के हर लोकसभा सीट पर ओबीसी जातियों के 40 से 50 फीसदी असंगठित क्षेत्र के वोटरों पर है।इसलिए लोकसभा चुनाव के मददेनजर प्रधानमंत्री ने इसका राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार किया है। उन्होंने बताया कि यह योजना विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना की भांति है यह कोई नई योजना नहीं है,इसका स्वरूप पूर्ववत है। इसमें किसी भी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। उन्होंने इस योजना को सरकार के लिए चुनावी गेम चेंजर योजना बताते हुए कहा कि इस योजना में देश के निचले स्तर पर जीवन यापन करने वाले बढ़ई,मोची, धोबी जैसे कामगारों को भी शामिल किया गया है। यह योजना 18 तरह के जाति आधारित पारंपरिक कामगारों के लिए है। विश्वकर्मा सम्मान योजना के दांव से बीजेपी की कोशिश है कि विश्वकर्मा जातियों के साथ ही इस व्यवसाय से जुड़े व्यवसायी श्रमिक और कारीगरों को चुनाव में वोट के लिए साधा जा सके, इसलिए इस योजना का नाम विश्वकर्मा के नाम पर किया जाना अपमानजनक, औचित्यहीन तथा विश्वकर्मा समाज के साथ धोखा और छलावा है। उन्होंने कहा कि अगर वास्तव में सरकार विश्वकर्मा समाज का हित चाहती है तो विश्वकर्मा समाज की लंबित मांग को पूरा करते हुए राष्ट्रीय विश्वकर्मा शिल्पकार आयोग का गठन तथा विश्वकर्मा पूजा दिवस 17 सितंबर को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करे।
