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वाराणसी

वाराणसी: 8 किलोमीटर का क्षेत्र बना नो-काइट जोन, रोपवे परियोजना के काम में तेजी

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वाराणसी। देश की पहली शहरी परिवहन रोपवे परियोजना के तहत कैंट से गोदौलिया तक 8 किलोमीटर के क्षेत्र को नो-काइट जोन घोषित किया गया है। इस फैसले का उद्देश्य रोपवे के टॉवर पर लगाए जा रहे तारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। अधिकारियों ने पतंग उड़ाने वाले लोगों को चेतावनी दी है कि रोपवे के तारों में मांझा फंसाने पर कार्रवाई की जाएगी।

रोपवे विभाग के जीएम शंभू चौधरी ने बताया कि परियोजना को सुरक्षित और समय पर पूरा करने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। ड्रोन की मदद से पतले फाइबर रोप्स को खींचा जा रहा है। तारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत माता मंदिर स्टेशन के सामने 70 मीटर लंबा प्लेटफॉर्म तैयार किया जा रहा है।

अब तक 15 टॉवर तैयार
रोपवे के कुल 18 में से 15 टॉवर स्थापित हो चुके हैं। इन पर पांच प्रकार के रोप्स लगाने का कार्य जारी है। दिसंबर के अंत तक ट्रायल रन का प्रयास किया जा रहा है। अब तक 96 मोनोकेबल डेटाकेबल गोंडोला (केबल कार) आ चुके हैं, और शेष 52 अगले महीने तक पहुंचने की उम्मीद है।

सुविधाएं और किराया
कैंट, विद्यापीठ, और रथयात्रा स्टेशनों पर कुल 14 एलिवेटर, 13 एस्केलेटर, तीन टिकट काउंटर और पांच वेंडिंग मशीनें लगाई जाएंगी। किराए के प्रस्तावित दरों को सड़क परिवहन मंत्रालय से मंजूरी के लिए भेजा गया है। वहीं, दूसरे चरण में गिरजाघर स्टेशन का कार्य 20%  प्रतिशत पूरा हो चुका है। हालांकि, गोदौलिया स्टेशन को आगे शिफ्ट करने पर विचार चल रहा है।

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रोपवे परियोजना के अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि वे रोपवे के आसपास पतंग उड़ाने से बचें, क्योंकि इससे दुर्घटना की संभावना बढ़ सकती है। परियोजना को तेजी से पूरा करने का प्रयास जारी है।

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