वाराणसी
वाराणसी में कल मॉकड्रिल, आपदा से निपटने को 6500 वॉलंटियर्स तैयार

वाराणसी। जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार अलर्ट मोड पर हैं। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी सुरक्षा एजेंसियों की मुस्तैदी बढ़ गई है। इसी कड़ी में कल (बुधवार) होने वाली मॉकड्रिल को लेकर व्यापक तैयारियां की जा रही हैं। जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार और सिविल डिफेंस प्रभारी एडीएम सिटी आलोक वर्मा ने संबंधित अधिकारियों के साथ व्यापक स्तर पर योजना तैयार की है। प्रशासनिक अधिकारियों ने उच्चस्तरीय बैठक में पुलिस कमिश्नर समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी मॉकड्रिल की रणनीति पर मंथन किया।
सिविल डिफेंस के पास 60 के दशक के ऐसे 60 सायरन हैं, जिनका उपयोग युद्ध या भूकंप जैसी आपात स्थिति में किया जाता है। मॉकड्रिल से पहले इनमें से कुछ सायरन खराब पाए गए हैं, जिन्हें जल्द दुरुस्त किया जा रहा है।
आपदा प्रबंधन के लिए कुल 6500 स्वयंसेवकों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। इनमें से 5578 स्वयंसेवक आगजनी जैसी घटनाओं में राहत कार्यों के लिए तैयार हैं, जबकि 916 को प्राथमिक चिकित्सा की ट्रेनिंग दी गई है। स्कूल और कॉलेजों में भी समय-समय पर आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
स्थानीय क्षेत्र की जानकारी रखने वाले जिम्मेदार और साहसी नागरिकों को वार्डन सेवा का सदस्य बनाया गया है। ये वार्डन जनता और प्रशासन के बीच सेतु की भूमिका निभाएंगे। शांति काल में उन्हें अपने क्षेत्र की भौगोलिक और सामाजिक जानकारी जुटानी होती है, वहीं आपातकाल में राहत कार्यों का संचालन करना होता है।
हवाई हमले की स्थिति में वार्डन पोस्ट पर पहुंचकर जनता को सुरक्षित स्थान पर ले जाने का निर्देश देना उनका प्रमुख कार्य होगा। सायरन की अनुपस्थिति में सीटी, झंडी या आवाज के माध्यम से अलर्ट किया जाएगा। बमबारी के तुरंत बाद क्षेत्र का सर्वे कर फायर स्टेशन और नियंत्रण केंद्र को सूचना देनी होगी। जब तक राहत दल नहीं पहुंचता, तब तक घायलों की मदद और आग बुझाने जैसे कार्यों में जुटे रहना होगा।
हमले के बाद लोगों को अफवाहों से बचाकर, पानी, बिजली, सीवर जैसी सेवाओं को बहाल करने की प्रक्रिया तत्काल शुरू की जाएगी। मॉकड्रिल का उद्देश्य आपदा के समय प्रशासन और जनता के बीच समन्वय को सशक्त बनाना है।