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वाराणसी

वरुणा कॉरिडोर की सड़कें धंसीं, बाढ़ के बाद उजागर हुई निर्माण की पोल

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कॉरिडोर की नींव जगह-जगह से खोखली, तीन फीट ऊंची दीवार गिरने का खतरा, जलकुंभी का कब्जा

वाराणसी। वरुणा कॉरिडोर की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। बीते दिनों गंगा में आई बाढ़ से उफनी वरुणा नदी के चलते कॉरिडोर पूरी तरह डूब गया था। पानी घटने के बाद अब इसकी वास्तविक स्थिति उजागर हो रही है। कई स्थानों पर सड़कें धंस चुकी हैं, रेलिंग टूटकर नदी में समा गई है और किनारे की मिट्टी बह जाने से पोल हो चुका है। इससे कॉरिडोर की तीन फीट ऊंची दीवार कभी भी गिर सकती है।

कॉरिडोर की पाथवे पर जलकुंभी जमा हो गई है, जिससे आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया है। जबकि पानी का स्तर सामान्य हो चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि निर्माण कार्य के दौरान मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए गए, जिससे कॉरिडोर की नींव जगह-जगह से खोखली हो गई है।

धंस गई सड़कें, गायब हो गई रेलिंग
कॉरिडोर की सड़कें जगह-जगह से धंसी हैं। 20 से 25 फीट तक की रेलिंग कई स्थानों से पूरी तरह गायब हो चुकी है। नींव उखड़ जाने से रेलिंग गिरने का खतरा और बढ़ गया है। सड़क किनारे की मिट्टी भी बह चुकी है जिससे कॉरिडोर की स्थिरता खतरे में है।

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बाढ़ के समय की तस्वीरें बनीं गवाह
बाढ़ के दौरान ली गई तस्वीरों में रेलिंग का सिर्फ ऊपरी हिस्सा दिख रहा है। वहीं शास्त्री घाट पर स्थित मंच भी पूरी तरह जलमग्न हो गया था। कॉरिडोर निर्माण के समय जल बहाव और कटाव जैसी चुनौतियों को गंभीरता से नहीं लिया गया, जिसका नतीजा अब सामने है।

गोमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर हुआ था निर्माण
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने वर्ष 2016 में गोमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर लगभग 201 करोड़ रुपये की लागत से 10 किलोमीटर लंबा वरुणा कॉरिडोर बनवाया था। नदी के दोनों छोर पर रेलिंग और पाथवे तैयार किए गए थे। लेकिन गोमती रिवर फ्रंट घोटाले के सामने आने के बाद वरुणा कॉरिडोर की रफ्तार धीमी पड़ गई।

समाजवादी पार्टी का आरोप है कि योगी सरकार ने वरुणा कॉरिडोर का विकास सिर्फ इसलिए रोक दिया क्योंकि यह अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट था। हालांकि योगी सरकार के दौरान डेनमार्क की एक टीम ने वरुणा को कचरा मुक्त करने के लिए सर्वे किया था, लेकिन बाद में वह भी पीछे हट गई।

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अब वाराणसी के डीएम सत्येंद्र कुमार ने वरुणा कॉरिडोर के पुनर्विकास में रुचि दिखाई है। सीएम योगी भी इस परियोजना को नए सिरे से तैयार करने का निर्देश दे चुके हैं।

प्रयागराज से काशी तक का सफर करती है वरुणा
वरुणा नदी का उद्गम प्रयागराज के मैलहन झील से होता है। लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर की यात्रा करते हुए यह नदी जौनपुर और भदोही होते हुए वाराणसी पहुंचती है। यहां 45 किलोमीटर की दूरी तय कर आदिकेशव घाट पर गंगा में मिल जाती है।

इतिहास से जुड़ी मान्यता
मान्यता है कि वरुणा नदी गंगा से भी प्राचीन है। मैलहन झील के दक्षिण-पूर्व में इंद्र, वरुण और यम देवताओं ने त्रिदेवेश्वर शिवलिंग की स्थापना कर यज्ञ किया था। यज्ञ के बाद देवताओं और ऋषियों के हस्त प्रक्षालन से झील भर गई, जो आगे चलकर वरुणा के रूप में प्रवाहित हुई।

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