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वक्फ संपत्तियों पर कड़ा रुख: छह महीने में सार्वजनिक होगा सारा रिकॉर्ड

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नई दिल्ली। वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) ने इसे कुछ अहम बदलावों के साथ स्वीकार किया है। नए प्रावधानों के तहत, सभी वक्फ संपत्तियों का विवरण प्रस्तावित कानून के लागू होने के छह महीने के भीतर सार्वजनिक वेबसाइट पर उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा। समिति ने भाजपा सांसद बृजलाल और संजय जायसवाल द्वारा सुझाए गए संशोधनों को भी मंजूरी दी है।

मुख्य बिंदु:

1. जांच के लिए अधिकारी नियुक्ति: राज्य सरकार अब कलेक्टर या उससे उच्च पद के अधिकारियों को वक्फ संपत्तियों की जांच के लिए नामित कर सकती है।

2. वक्फ ट्रिब्यूनल में बदलाव: ट्रिब्यूनल में अब तीन सदस्य होंगे, जिनमें से एक इस्लामी कानून और न्यायशास्त्र का विशेषज्ञ होगा।

3. इस्लामिक पालन की शर्त: केवल वे लोग संपत्ति को वक्फ घोषित कर सकते हैं, जो कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे हों।

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4. गैर-मुस्लिम सदस्य की अनिवार्यता: वक्फ बोर्ड और काउंसिल में कम से कम दो गैर-मुस्लिम सदस्यों का होना अनिवार्य होगा।

5. संपत्ति विवाद का समाधान: वक्फ संपत्तियों से संबंधित विवादों को पहले जिला कलेक्टर या उससे उच्च अधिकारी देखेंगे, जबकि अंतिम निर्णय वक्फ ट्रिब्यूनल करेगा।

विपक्ष ने विधेयक के सभी 44 प्रावधानों में संशोधन की मांग की। उन्होंने तर्क दिया कि नए प्रावधान वक्फ संपत्तियों के अधिकार और निष्पक्षता पर असर डाल सकते हैं।

विवादित मुद्दे:

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1. मुस्लिम संगठनों ने कलेक्टर को जांच का अधिकार देने पर आपत्ति जताई है, उनका कहना है कि इससे पक्षपात की संभावना बढ़ सकती है।

2. विवादित संपत्तियों को वक्फ घोषित करने पर रोक लगाने का प्रावधान भी कई संगठनों द्वारा चुनौती दी गई है।

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