वाराणसी
रामनगर की रामलीला में हुई भोर की आरती, श्री राम का हुआ राज्याभिषेक

वाराणसी। लख्खा मेला में शामिल विश्व प्रसिद्ध ‘रामनगर की रामलीला’ की भोर की आरती में पूरा काशी जैसे उमड़ पड़ा। हजारों की संख्या में भक्तों ने ‘हर हर महादेव’ और ‘जय श्री राम’ के जयकारों के साथ माहौल को भक्तिमय बना दिया। काशी की परंपराओं में से एक, भोर की आरती, रामलीला के कई चरणों में आयोजित होती है।
इस अवसर पर भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक की झांकी और आरती देखने के लिए लाखों श्रद्धालु जुटे। ऐसा लग रहा था जैसे सम्पूर्ण काशी आरती में भाग लेने आई हो। चारों ओर लोग प्रभु राम के अयोध्या आगमन की खुशी मनाने में जुटे थे। इस मौके पर काशीराज परिवार के कुंवर अनंत नारायण सिंह रामनगर दुर्ग से पैदल चलकर लीला स्थल तक पहुंचे और भूमि पर बैठकर श्रीराम का तिलक किया।
राम राज्याभिषेक की आरती की है विशेष मान्यता
रामनगर रामलीला की परंपराओं में राम राज्याभिषेक की आरती को विशेष मान्यता प्राप्त है, जो आज बुधवार की भोर में आयोजित की गई। यह आरती सूर्योदय के समय उगते सूर्य के विशेष अनुष्ठान के रूप में की जाती है। इसमें भाग लेने के लिए श्रद्धालुओं का रेला देर रात से गांव, गली और मोहल्लों से निकलकर रामलीला स्थल की ओर बढ़ा, और भोर होने तक भीड़ का कोई ओर-छोर नहीं नजर आ रहा था।

तिल रखने की भी जगह नहीं बची थी और लाखों श्रद्धालु भजन-कीर्तन के बीच किला रोड स्थित अयोध्या मैदान में राज्याभिषेक समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर गुरु वशिष्ठ, विभीषण, सुग्रीव, अंगद और हनुमानजी श्रीराम के राजा रूप के दर्शन के लिए आतुर थे। गुरु वशिष्ठ की आज्ञा पाकर श्रीराम ने सिर झुका कर सभी का अभिवादन किया, जिससे पूरा इलाका “राजा रामचंद्र” और “हर हर महादेव” के उद्घोष से गूंज उठा।
काशीराज परिवार के कुंवर अनंत नारायण ने किया श्रीराम का तिलक
काशीराज परिवार के कुंवर अनंत नारायण सिंह ने भूमि पर बैठकर श्रीराम का तिलक किया और उन्हें भेंट दी। इसके बदले में, श्रीराम स्वरूप बने बालक ने अपने गले की माला उतारकर कुंवर को पहनाई। इसके बाद, सूर्योदय की अलौकिक आरती देखकर भक्तों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। यह आरती 14 वर्ष के वनवास से लौटे श्रीराम के राज्याभिषेक की लीला का हिस्सा थी।
रात भर, प्रभु राजसिंहासन पर विराजमान रहे, जबकि जानकी जी और तीनों भाई भी आसनों पर सुशोभित रहे। लीला प्रेमियों ने रातभर जागकर उनके दर्शन किए। जैसे-जैसे रात ढलती गई, श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती गई। भोर में सुबह पांच बजे अयोध्या मैदान पूरी तरह श्रद्धालुओं से भर गया।