वाराणसी
राघवेन्द्र चौबे ने केशव मौर्य को दी सलाह—‘पहले खुद का गिरेबान झांकें, फिर दें बयान’

राहुल गांधी को ‘पाकिस्तान का प्रवक्ता’ बताने पर भड़के कांग्रेस नेता
वाराणसी। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी को ‘पाकिस्तान का प्रवक्ता’ कहे जाने पर सियासी घमासान तेज हो गया है। बनारस दौरे पर दिए गए इस बयान को लेकर कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष राघवेन्द्र चौबे ने तीखी आपत्ति जताई है।
उन्होंने केशव मौर्य पर पलटवार करते हुए एक पोस्टर जारी कर भारतीय जनता पार्टी के ‘पाकिस्तान प्रेम’ पर सवाल उठाया और मौर्य को पहले इतिहास पढ़ने की नसीहत दी। चौबे ने कहा कि केशव मौर्य खुद अपने संसदीय क्षेत्र से चुनाव नहीं जीत पाए, इसलिए वह अपने आकाओं को खुश करने और कुर्सी बचाने के लिए राहुल गांधी के खिलाफ अनर्गल प्रलाप करते रहते हैं।
राघवेन्द्र चौबे ने कहा, “यदि केशव मौर्य इतिहास पढ़ते तो उन्हें पता चलता कि पाकिस्तान से रिश्तों में नरमी और समझौते की शुरुआत भाजपा नेताओं ने ही की थी। 1977 में तत्कालीन विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सलाह पर प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने RAW की काउंटर इंटेलिजेंस विंग CIT-X को बंद कर दिया था, जिसके बदले में पाकिस्तान ने मोरारजी देसाई को ‘निशान-ए-पाकिस्तान’ से सम्मानित किया।”
चौबे ने आगे कहा, “अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बनते ही नवाज शरीफ से मिलने लाहौर चले गए और बदले में भारत को कारगिल युद्ध का सामना करना पड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिन बुलाए नवाज शरीफ के यहां केक और बिरयानी खाने पहुंचे और उसके कुछ ही दिन बाद पाकिस्तान के आतंकी पठानकोट में घुस आए। इतना ही नहीं, मोदी सरकार ने ISI के जासूसों को पठानकोट एयरबेस तक की सैर कराई।”
कांग्रेस नेता ने भाजपा के कुछ कार्यकर्ताओं पर जासूसी में संलिप्तता के आरोपों की भी चर्चा की और कहा कि यह सब तथ्य बताते हैं कि भाजपा नेताओं का पाकिस्तान से पुराना प्रेम संबंध रहा है।
राघवेन्द्र चौबे ने कहा, “दूसरी ओर गांधी परिवार का देश निर्माण में त्याग और बलिदान जगजाहिर है। केशव मौर्य को सस्ती लोकप्रियता के लिए ‘सूरज को दिया’ दिखाने जैसी कोशिशें नहीं करनी चाहिए। यदि वे आगे भी इसी तरह की बयानबाज़ी करेंगे तो कांग्रेस कार्यकर्ता उन्हें माकूल जवाब देने को बाध्य होंगे।”