गाजीपुर
मां दुर्गा की उपासना से गूंजा बहरियाबाद

अष्टमी-नवमी पर कन्या पूजन की तैयारियां शुरू
बहरियाबाद (गाजीपुर)। शारदीय नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित है। यह पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर पूरे नौ दिनों तक चलता है और दशमी तिथि को विजयादशमी के रूप में समाप्त होता है।
महत्व:
शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है क्योंकि यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर करती हैं और उन्हें सुख, समृद्धि और ज्ञान का आशीर्वाद देती हैं।
नवरात्रि के नौ दिन और देवी के नौ रूप:
हर दिन मां दुर्गा के एक अलग रूप की पूजा की जाती है:
पहला दिन – मां शैलपुत्री: पर्वतराज हिमालय की पुत्री, देवी पार्वती का रूप।
दूसरा दिन – मां ब्रह्मचारिणी: तपस्या और वैराग्य की प्रतीक।
तीसरा दिन – मां चंद्रघंटा: साहस और वीरता की देवी।
चौथा दिन – मां कूष्मांडा: ब्रह्मांड की निर्माता।
पांचवां दिन – मां स्कंदमाता: मातृत्व और प्रेम की देवी।
छठा दिन – मां कात्यायनी: शक्ति और युद्ध की देवी।
सातवां दिन – मां कालरात्रि: अंधकार और अज्ञान का नाश करने वाली।
आठवां दिन – मां महागौरी: शांति और पवित्रता की देवी।
नवां दिन – मां सिद्धिदात्री: सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली।
पूजा विधि:
घटस्थापना: नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश (घट) की स्थापना की जाती है। यह पूरे नौ दिनों की पूजा का आरंभ होता है।
अखंड ज्योत: कई भक्त नौ दिनों तक अखंड ज्योति जलाते हैं, जो देवी के प्रति उनकी अटूट आस्था का प्रतीक है।
व्रत और पूजा: भक्त नौ दिनों का व्रत रखते हैं, जिसमें वे सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। हर दिन देवी के विशेष रूप की पूजा की जाती है, जिसमें मंत्रों का जाप, आरती और भोग शामिल होता है।
दुर्गा सप्तशती का पाठ: नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। इससे जीवन की सभी परेशानियां दूर होती हैं।
कन्या पूजन: अष्टमी या नवमी तिथि पर कन्या पूजन का विधान है। इसमें नौ छोटी कन्याओं को देवी का रूप मानकर उन्हें भोजन कराया जाता है और उपहार दिए जाते हैं।
देवी का वाहन:
नवरात्रि में मां दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं और उनका आगमन आने वाले समय की स्थिति का संकेत देता है। इस बार शारदीय नवरात्रि सोमवार से शुरू होने के कारण, मां का आगमन हाथी पर हुआ है, जो बहुत ही शुभ माना जाता है और समृद्धि, ज्ञान और खुशहाली का प्रतीक है।