चन्दौली
बैसाखी पर्व की पूर्व संध्या पर सिख समाज ने निकाली भव्य शोभायात्रा

खालसा पंथ के वीर सपूतों को किया गया नमन
पीडीडीयू नगर (चंदौली)। बैसाखी पर्व की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को सिख समाज द्वारा नगर में एक भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया गया। इस शोभायात्रा का उद्देश्य खालसा पंथ के वीर सपूतों के बलिदान को स्मरण करना और समाज में भाईचारे व सेवा भाव को जागृत करना रहा।
शोभायात्रा की शुरुआत मिनी महानगर स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट परिसर से हुई। इसमें पांच घोड़ों पर सवार पंच प्यारे, शौर्य व वीरता के प्रतीक के रूप में सबसे आगे चल रहे थे। उनके पीछे सिख युवाओं की टोली “जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल” के जयघोष के साथ नगर भ्रमण करती रही। पूरे मार्ग को भगवा झंडों, गुरुवाणी और पुष्प वर्षा से सजाया गया था, जिससे नगर का वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया।
इस दौरान गतका ग्रुप के युवाओं ने हैरतअंगेज करतबों का प्रदर्शन कर सभी का ध्यान आकर्षित किया। तलवारबाज़ी, लाठी चलाना व अन्य शौर्य प्रदर्शन सिख समाज की martial tradition को दर्शा रहे थे। स्थानीय नागरिकों ने भी शोभायात्रा का जगह-जगह स्वागत किया और पुष्प वर्षा की।
शोभायात्रा गुरुद्वारा पहुंचकर संपन्न हुई, जहां अरदास के बाद विशाल लंगर का आयोजन किया गया। लंगर में सिख समुदाय के साथ ही अन्य धर्मों के लोगों ने भी प्रसाद ग्रहण कर आपसी सौहार्द का संदेश दिया।
गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष रणजीत सिंह ने पंच प्यारों के बलिदान को याद करते हुए कहा कि उन्होंने राष्ट्रहित में अपने प्राणों की आहुति दी। उन्होंने बैसाखी पर्व के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को भी बताया, कि किस प्रकार 1699 में गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना कर सिख धर्म को एक नई पहचान दी।
इस अवसर पर महेंद्र सिंह, जसवीर सिंह जस्सी, शम्मी, गुरदीप सिंह, सतपाल सिंह सूरी, नरेंद्र सिंह, अमरीक सिंह, मनमीत सिंह, सतनाम सिंह सहित बड़ी संख्या में सिख समुदाय के लोग उपस्थित रहे। सभी ने इस आयोजन को सफल बनाने में सक्रिय सहभागिता निभाई।
शोभायात्रा में श्रद्धा, भक्ति और परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिला, जिसने पीडीडीयू नगर को एक दिन के लिए मिनी पंजाब में तब्दील कर दिया।