गाजीपुर
बहरियाबाद में बंदरों का आतंक बढ़ा, ग्रामीण भयभीत

गाजीपुर। बहरियाबाद और आसपास के ग्रामीण इलाकों में बंदरों का आतंक दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। हालात ऐसे हैं कि ग्रामीण अपने घरों में भी सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे। लगभग पांच दर्जन से अधिक बंदरों के दल गांव में खुलेआम घूम रहे हैं, जो कभी भी किसी पर हमला कर देते हैं। अब तक कई लोग बंदरों के काटने से घायल हो चुके हैं, जिससे गांव में दहशत का माहौल व्याप्त है।
बंदर न केवल लोगों को घायल कर रहे हैं, बल्कि घरों में घुसकर सामानों को भी नुकसान पहुँचा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बंदर इतने मनबढ़ हो गए हैं कि उन्हें भगाने पर भी नहीं भागते। लोगों की दिनचर्या बुरी तरह प्रभावित हो गई है। महिलाएं और बच्चे विशेष रूप से इनके हमलों का शिकार बन रहे हैं, जबकि कई बुजुर्ग छतों पर चढ़ने या खेतों में जाने से भी कतराने लगे हैं।
बंदरों का यह आतंक केवल लोगों तक सीमित नहीं है, बल्कि किसानों की फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। फल, सब्जियां और अन्य फसलें बंदरों के कारण बर्बाद हो रही हैं, जिससे किसानों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, मवेशियों पर भी बंदरों के हमले हो रहे हैं, जिनमें कुछ मवेशियों ने डर के चलते दूध देना तक बंद कर दिया है।
स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह स्थिति चिंताजनक बनती जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, बंदरों के काटने से रेबीज और हर्पीज बी वायरस जैसी घातक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। रेबीज का कोई स्थायी इलाज नहीं है और यह जानलेवा साबित हो सकता है। ऐसे में यदि किसी को बंदर काट ले तो तत्काल साबुन और पानी से घाव को धोकर डॉक्टर से संपर्क करना बेहद जरूरी है।
बंदरों के बढ़ते खतरे को देखते हुए ग्रामीणों को कुछ आवश्यक सावधानियां बरतने की सलाह दी जा रही है। उन्हें खाना न दें, कूड़ेदानों को ढंक कर रखें और घरों व खेतों की सुरक्षा के लिए बाड़ या जाली का उपयोग करें। स्थानीय प्रशासन और वन विभाग से बंदरों को सुरक्षित रूप से पकड़वाकर जंगल में छुड़वाने की मांग लगातार की जा रही है।
ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से प्रशासन से अपील की है कि इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए तत्काल ठोस कार्रवाई की जाए, जिससे लोग भयमुक्त होकर सामान्य जीवन जी सकें।