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गाजीपुर

लापरवाही की भेंट चढ़ा पूर्व माध्यमिक विद्यालय कटघरा खादीमान

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देवकली (गाजीपुर) जयदेश। महामना मदन मोहन मालवीय की जनसेवा, लोकहित और त्याग का प्रतीक काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना भारत ही नहीं, विश्व का गौरव है। शिक्षा के क्षेत्र में उनके जैसी सोच किसी की भी नहीं है। प्रसंग वश खबर लिखते समय मालवीय जी बरबस याद आ गए।

ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा का प्रसार हो, इसके लिए पूर्व माध्यमिक विद्यालय कटघरा खादीमान स्कूल की स्थापना की गई। दिवंगत प्रधान जनार्दन सिंह का प्रयास था। 1999 से शुरू हुआ सफर 2025 अगस्त महीने में समाप्त हो गया। इस विद्यालय में छात्रों की संख्या कभी कम नहीं रही। अपने समय में सेवानिवृत्त हेड मास्टर रही सावित्री सिंह के समय पढ़ाई अच्छी होती थी। उनके सहकर्मी भी उनका पूरा सहयोग दिया करते थे। बनारस से आने वाले अध्यापक विंध्याचल चौहान अपनी लोकप्रियता के कारण अभी भी नंबर एक पर हैं, लेकिन उनका सहयोग अन्य लोगों से नहीं मिल पाता था।

“ये बातें गांव और क्षेत्रीय लोगों ने जयदेश समाचार संवाददाता को बताई।”

सेवानिवृत्त अध्यापक योगेंद्र सिंह अपने अनुशासन के लिए पूरे विद्यालय में चर्चित थे। पढ़ाई और इसकी रिपोर्टिंग छात्र-छात्राएं अपने घरों में समय-समय पर किया करते थे। छात्र-छात्राओं को होमवर्क देकर उन्हें प्रेरित किया जाता था और जिन सवालों में विद्यार्थी असहज महसूस करता था, उसे पूरी सहजता के साथ अध्यापक उसका निवारण भी करते थे। गुरुजनों को सामाजिक दबाव का भी सामना करना पड़ता था। बच्चों और अध्यापकों के बीच गजब का तालमेल था, खूब पढ़ाई होती थी और संख्या बल भी पर्याप्त था।

अध्यापक भी वर्तमान समय में खूब मेहनत करते थे, जिसका फल उनको वर्तमान समय में ही मिल जाता था। समय बदला, छात्रों की संख्या और पठन-पाठन पर लापरवाही के बादल छा गए और साथ में अधिकारियों के लिए जवाबदेही का कोई मतलब ही नहीं था।

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“स्कूल की संख्या क्या है? हेड मास्टर को भी कुछ लेना देना नहीं था? बच्चों की संख्या गणित के चक्कर में पूर्व माध्यमिक विद्यालय अपना वजूद गवा बैठा, 50 की संख्या भी पूरी नहीं कर पाया।”

पूर्व माध्यमिक विद्यालय ठीक शिक्षक दिवस से एक दिन पहले वहां के स्टाफ ने अपने नए ठिकाने “प्राथमिक विद्यालय महमूदपुर पाली” में शरण ली है। अब यह विद्यालय शासन से एकीकृत हो गया है। टीम वही है जो 50 बच्चों को भी नहीं जोड़ पाई। इसी वजह से पूर्व माध्यमिक विद्यालय कटघरा खादीमान का समायोजन प्राथमिक विद्यालय महमूदपुर पाली में करना पड़ा।

समायोजन से पहले पूर्व माध्यमिक विद्यालय के अध्यापकों ने बाल मनोविज्ञान के ऊपर थोड़ी सी मेहनत की होती, तो शायद विद्यालय बच जाता। गाजीपुर में ऐसे बहुत सारे विद्यालय हैं जिन विद्यालयों में छात्रों की संख्या 300 के पार है। वरिष्ठ बुद्धिजीवी आहत होकर कहते हैं, “प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा, बेसिक शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारी छात्रों की संख्या को बढ़ाने के लिए स्कूलों पर नहीं आएंगे। यह काम अध्यापकों को ही करना पड़ेगा।”

“जिन विद्यालयों में छात्र संख्या अधिक है, उस विद्यालय के अध्यापकों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। शैक्षिक गुणवत्ता की छाप छोड़ी है।”

मर्जर होने का सबसे बड़ा कारण विद्यालय में पढ़ाई-लिखाई की गुणवत्ता में भारी कमी बताया जा रहा है। “सूत्रों के अनुसार, जो अध्यापक नियमित थे, बच्चों पर ध्यान देते थे। उनके पढ़ाने पर भी नहीं पढ़ाने वाले अध्यापक खेमेबाजी और गुटबाजी करते थे।”

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इस मसले पर जयदेश समाचार संवाददाता पीयूष सिंह मयंक को क्षेत्रीय ग्रामीणों ने बताया कि “संवाद की कमी? बच्चों के घर वालों से समय-समय पर अध्यापक द्वारा फीडबैक ना लेना? बच्चों के स्कूल नहीं आने पर उसका उचित कारण अभिभावक से नहीं पूछना? ऐसी ढेर सारी परेशानियों के कारण इस पूर्व माध्यमिक विद्यालय कटघरा खादीमान को मर्जर करना पड़ा।”

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