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वाराणसी

पुत्र की लंबी आयु के लिए माता ने रखा ललही छठ का व्रत

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रोहनिया/– ग्रामीण क्षेत्रों में संतान लंबी आयु के लिए महिलाओं ने विधि विधान से किया ललही छठ मैया का पूजा अर्चना ,बता दें कि महिलाएं ललही छठ का व्रत संतान की लंबी आयु की प्राप्ति के रखती हैं। इस दिन व्रत के दौरान कोई अन्न नहीं खाया जाता है।  इस व्रत में केवल वही चीजें खाई जाती हैं जो तालाब में पैदा होती हैं। जैसे तिन्नी का चावल, करमुआ का साग, पसही का चावल आदि। इस व्रत में दूध और उससे बने उत्पाद जैसे दही, गोबर का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। हलषष्ठी व्रत में भैंस का दूध, दही और घी के प्रयोग की परंपरा है।

वहीं पूजा करने के लिए पहुंची आरती देवी ने बताया कि इसमें छठ माता की पूजा की जाती है। ये पूजा विशेष जिन महिलाओं को बच्चा नहीं होता है वो यहाँ आकर मन्नत उठाकर पूजा करती हैं तो उनकी गोद भर जाती है। इस पूजा में छह तरह की कहानी सुनी जाती है। छह चिड़िया , छह रंग का फल, 6 पकवान , 6 घड़िया रंग कर चढ़ाया जाता है।

गंगापुर की रहने वाली एक अन्य श्रद्धालु उर्मिला देवी ने बताया कि ये बच्चों की लम्बी उम्र के लिए पूजा होती है सुबह से महिलाएं व्रत करती हैं और यहां आकर कहानी सुनकर पूजा करती हैं और ललही छठ माता से अपने बच्चों की लम्बी उम्र की कामना और उनकी तरक्की को लेकर छठी माता से प्रार्थना करती हैं। वहीं सीता देवी ने बताया कि ये पूजा अपने बाल बच्चों और परिवार की खुशहाली के लिए ये व्रत करते हैं।

गंगापुर नघही पोखरे पर पूजा करने आयी अनिता देवी ने बताया कि ये जिन महिलाओं को लड़का नहीं होता वो ये व्रत रखती हैं जिससे पुत्र की प्राप्ति होती है। पिछले 50 साल से वो ये पूजा कर रही हैं। इस व्रत को करने के लिए व्रती महिलाएं सुबह नित्य क्रिया से निवृत होकर पुत्र की दीघार्यु का संकल्प करती है। फिर किसी तालाब या पोखरे पर जाकर विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करती हैं। और अपने बच्चे के लिए छठ माता से प्रार्थना करती हैं

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