वाराणसी
पंडित कमलापति त्रिपाठी की 118 वीं जयंती महोत्सव हर्षोल्लास से मनाया गया
रिपोर्ट – प्रदीप कुमार
पंडित जी का सम्पूर्ण जीवन भारतीय संस्कृति एवं संस्कार को परिभाषित करता है– कुलपति प्रो रामसेवक दुबे.
पं. कमलापति त्रिपाठी काशी के नहीं देश के भी गौरव थे- कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा.
इस परिसर में आने पर स्वंय ऊर्जा और गौरव की अनुभूति होती है— पुलिस उपायुक्त रामसेवक गौतम.
पंडित जी का सम्पूर्ण जीवन भारतीय संस्कृति एवं संस्कार को परिभाषित करता है, वे इस संस्था के संस्थापकों में से एक थे यहां की संस्कृति एवं संस्कार से हम वैश्विक पटल पर स्थापित हैं,ऐसे में इस संस्था का कार्य और महत्वपूर्ण हो जाता है. उक्त विचार संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं संस्था के संस्थापक पंडित कमलापति त्रिपाठी के 118 वीं जयंती महोत्सव पर अपरान्ह 2:00 बजे, योगसाधना केंद्र में जगद्गुरू रामानंदाचार्य राजस्थान,संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर के कुलपति प्रो रामसेवक दुबे ने बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किया.
कुलपति प्रो दुबे ने कहा कि यह विश्वविद्यालय अत्यंत प्राचीन है काशी की संस्कृति और संस्कृत को संपूर्ण राष्ट्र के साथ वैश्विक स्तर पर ले जाने का कार्य यह संस्था आज तक कर रहा है. आज यह संस्था अपने संस्थापक का जयंती मनाकर अपने संस्कार की तरफ इंगित करते हुए हम सभी के लिए विशिष्ट संदेश देता है.
इस परिसर में आने पर स्वंय ऊर्जा और गौरव की अनुभूति होती है—
विशिष्ट अतिथि
काशी जोन के पुलिस उपायुक्त रामसेवक गौतम ने बतौर विशिष्ट अतिथि कहा कि इस परिसर में आने पर स्वंय ऊर्जा और गौरव की अनुभूति करते हैं. यहां की भूमि में ऋषि तुल्य आचार्यों के तप और ज्ञान की सुगंध से एक देव स्थल सा अनुभव होता है. संस्कृत भाषा वैज्ञानिक भाषा है दुनिया में प्राचीनतम ग्रंथ संस्कृत में लिखे गए हैं. संस्कृत भाषा चिकित्सा और स्वास्थ की भाषा है इसके श्रवण मात्र से ही अवसाद मुक्त और संस्कारों से परिष्कृत हो जाते हैं. इस परिसर से ही देश को दिशा प्राप्त होगी.
अध्यक्षीय उद्बोधन–
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि
पं. कमलापति त्रिपाठी काशी के नहीं देश के भी गौरव थे। संविधान सभा में उन्होंने अपनी सक्रिय भूमिका निभाते हुए अपनी मां यानी हिंदी का साथ दिया। हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित कराने के साथ ही उन्होंने भारतीय गणतंत्र के नामकरण जैसे मामलों में उल्लेखनीय संसदीय भूमिका निभाई थी। भारतीय गणतंत्र इंडिया दैट इज भारत उन्हीं की देन है।
कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि उनके योगदान सदैव उनके संस्कृत शास्त्रों के ज्ञान पक्ष को ही दर्शाता है. सच कहने का साहस केवल पंडित जी मे था जिसके बल पर उन्होंने अनेकों सामाजिक विकास के कार्य किए जिसको लोग विभिन्न संस्मरणों के माध्यम से याद कर बताते हैं.
अन्य वक्ता गण–
डॉ विजय शंकर पाण्डेय, प्रो सतीश कुमार राय ने कहा कि पंडित जी काशी के ब्रांड एंबेसडर और इस संस्था के संस्थापकों में से थे .
तीन ग्रंथों का लोकार्पण एवं परिचय–
अभिनव प्रकाशनों का लोकार्पण–
मंचस्थ अतिथियों के द्वारा प्रकाशन संस्थान से प्रकाशित तीन ग्रंथों 1- श्रवणविद्या(संकाय पत्रिका),भाग-7 सम्पादक- हरप्रसाद दीक्षित.
2- विवरण पंजिका (पंचमो भाग:,प्रथम खंड)-सम्पादक-. डॉ सुभद्रनाथ झा.
3- विवरण पंजिका(पंचमो भाग:,द्वितीय खंड:)- सम्पादक- डॉ सुभद्रनाथ झा.
का लोकार्पण किया गया. प्रो विजय कुमार पाण्डेय ने सभी ग्रंथों के विवरण को संचारित किया.
मंगलाचरण-
वैदिक, पौराणिक मंगलाचरण किया गया.
महोत्सव के प्रारम्भ में–
जयंती महोत्सव के प्रारम्भ मंचस्थ अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलन, माँ सरस्वती जी एवं पंडित कमलापति त्रिपाठी जी के प्रतिमा/मूर्ति पर माल्यार्पण किया.
अतिथियों का स्वागत और अभिनंदन–
आयोजक द्वारा मंचस्थ अतिथियों का चन्दन,माला,अंग वस्त्रम एवं स्मृतिचिन्ह के साथ स्वागत और अभिनंदन किया गया.
दो आचार्यों का अभिनंदन–
कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने इस जयंती महोत्सव के दौरान वेद वेदांग संकाय के अध्यक्ष प्रो अमित कुमार शुक्ल एवं पूर्व संकाय अध्यक्ष प्रो महेंद्र पाण्डेय के माला एवं अंगवस्त्रम से स्वागत और अभिनंदन किया.
स्वागत भाषण और अभिनंदन–
प्रो रामपूजन पाण्डेय ने स्वागत भाषण करते हुए पंडित जी जीवन वृतांत पर प्रकाश डाला.
धन्यवाद ज्ञापन– समारोह का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए प्रो जितेन्द्र कुमार ने किया.
संचालन एवं संयोजक– निदेशक प्रकाशन संस्थान डॉ पद्माकर मिश्र ने संचालन किया.
उपस्थित गण–
उक्त अवसर पर पूर्व कुलपति प्रो मधुसूदन पेन्ना
प्रो रामकिशोर त्रिपाठी,प्रो रामपूजन पाण्डेय,प्रो सतीश कुमार राय, प्रो हेतराम,प्रो हरप्रसाद दीक्षित
प्रो रमेश प्रसाद,प्रो हरिप्रसाद अधिकारी, प्रो अमित कुमार शुक्ल, प्रो जितेन्द्र कुमार,प्रो राघवेन्द्र, प्रो विधु द्विवेदी, प्रो विजय कुमार पाण्डेय, डॉ विद्या आदि उपस्थित थे.
