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वाराणसी

नवजात की स्वास्थ्य देखभाल के लिए घर पर पहुंच रहीं ‘आशा’

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प्रसव पश्चात जच्चा-बच्चा देखभाल के लिए किया प्रशिक्षित

प्रसव के बाद 42 दिन तक छह से सात बार करती हैं गृह भ्रमण

वाराणसी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल (एचबीएनसी) कार्यक्रम में आशा कार्यकर्ताओं का महत्वपूर्ण योगदान है। इस क्रम में वाराणसी मण्डल के अपर निदेशक (चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण) डॉ शशिकांत उपाध्याय व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी के निर्देशन में शहर की आशा कार्यकर्ताओं को शिवपुर स्थित पीएचएन ट्रेनिंग सेंटर पर प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रशिक्षण प्राप्तकर वह गृह भ्रमण के दौरान नवजात शिशु और धात्री महिलाओं को उचित सलाह देने का कार्य कर रही हैं।
सीएमओ डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि एचबीएनसी के तहत आशा कार्यकर्ता को नवजात शिशु की देखभाल, उनके शरीर तापमान देखने तथा जच्चा-बच्चा को स्वस्थ रखने संबंधी अन्य गतिविधियों के बारे में प्रशिक्षण दिया जाता है। इस क्रम में वह शिशु के जन्म के बाद गृह भ्रमण कर उन्हें स्वस्थ रखने में अपनी भूमिका का निर्वाहन कर रही हैं।
प्रसव के बाद 42 दिन तक छह से सात बार गृह भ्रमण – नोडल अधिकारी एवं एसीएमओ डॉ एके मौर्या ने बताया कि एचबीएनसी कार्यक्रम में नवजात शिशु की आशा कार्यकर्ता द्वारा गृह भ्रमण कर देखभाल की जाती है। इसके लिए उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है जिसमें आशा शिशु को उसके जीवनकाल के प्रथम छह सप्ताह में सुरक्षित रखने के लिए प्रयास करती हैं। आशा, प्रसव के बाद पहले, तीसरे, सातवें, 14वें, 21वें, 28वें और 42वें दिन तक छह से सात बार गृह भ्रमण कर उनकी देखभाल सुनिश्चित करती हैं एवं उक्त कार्यों का मूल्यांकन एवं सत्यापन आशा संगिनी व एएनएम द्वारा तथा समय-समय पर मॉनिटरिंग ब्लॉक व जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा की जाती है। इससे शिशु मृत्यु दर को कम करने में काफी सहायक हैं। इस दौरान कोविड प्रोटोकॉल का भी पूर्ण रूप से ध्यान रखा जाता है। डॉ मौर्या ने बताया कि यदि बच्चा दूध नहीं पी रहा है तो उसे खतरे का लक्षण मानकर तुरंत आशा को सूचित करें। वहीं यदि मां को सिरदर्द हो रहा हो, रक्तस्राव हो, पूरे शरीर में सूजन हो या दौरे के कुछ लक्षण दिखें तो भी आशा को सूचित करें या 102 नम्बर एम्बुलेंस बुलाकर नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर डॉक्टर को दिखाएं।
माधोपुर के एमओआईसी डॉ आलोक प्रकाश, बड़ागांव के एचईओ सुजीत कुमार एवं कृष्णमूर्ति सिंह सभी आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रशिक्षण में किस प्रकार बच्चे को गर्म कपड़े में लपेटना तथा कैसे ओआरएस का घोल बनाना है, बनाकर दिखाया गया। इसके साथ ही छह माह तक बच्चे को केवल मां का ही दूध पिलाना है और कुछ नहीं एवं कंगारू मदर केयर (केएमसी) के बारे में बताया गया। बच्चे की नाभि (नाल) में कुछ न लगाने के बारे बताया गया। बच्चे को संक्रमण से बचाने के लिए उसकी नाभि को सुखाकर रखें। इस दौरान परिवार नियोजन के संसाधनों पुरुष एवं महिला नसबंदी, अंतरा तिमाही गर्भनिरोधक इंजेक्शन और छाया गर्भ निरोधक गोली आदि के बारे में बताया जा रहा है।
इन बातों का रखें विशेष ध्यान –
• हाथ धुलना – बच्चों को छूने से पहले हाथ धुलना बहुत जरूरी, इससे बच्चे को संक्रामण से बचाया जा सकता हैं।
• बच्चे का वज़न करना – समय समय पर बच्चे का वज़न करने से ये पता चलता रहता है कि बच्चे का वज़न बढ़ रहा हैं या नहीं, जिससे बच्चे की वृद्धि को आँका जाता हैं या बच्चा सही स्तनपान कर रहा हैं या नहीं इसका पता लगाया जाता हैं।
• बच्चे का तापमान लेना – नियमित रूप से बच्चे का तापमान लिया जाता हैं, जिससे कि यह पता लगा जाए कि बच्चे को कहीं ठंडा या गरम बुखार तो नहीं हैं।
• शिशु की असामान्य परिस्थितियों जैसे छोटे- छोटे लाल दाने, निमोनिया आदि के बारे में ध्यान दिया जाना चाहिए।

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