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नए सत्र में भी जारी लापरवाही, गैरतगंज ब्लॉक के शिक्षक नहीं सुधरे

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मध्य प्रदेश। गैरतगंज विकासखंड के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की मनमानी और लापरवाही का सिलसिला नए सत्र में भी थमा नहीं है। निर्धारित समय सुबह 10:30 बजे से स्कूल खुलने चाहिए, लेकिन कई स्थानों पर यह 11 बजे के बाद ही खोले जाते हैं।

इतना ही नहीं, समय से पहले छुट्टी कर दी जाती है, जिससे पढ़ाई का समय लगातार कम होता जा रहा है। शासन बच्चों को सरकारी स्कूलों की ओर आकर्षित करने के लिए गणवेश, किताबें, साइकिल, छात्रवृत्ति और मध्यान्ह भोजन जैसी योजनाएं चला रहा है, लेकिन शिक्षकों की उदासीनता के कारण इनका लाभ छात्रों तक सही तरीके से नहीं पहुंच पा रहा।

गैरतगंज के कई ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानाध्यापक, जनशिक्षक और स्टाफ के आपसी तालमेल के नाम पर स्कूल खोलने और पढ़ाने में लापरवाही की जा रही है। कई बार एक शिक्षक 11 बजे भेज दिया जाता है और बाकी शिक्षक धीरे-धीरे दोपहर तक पहुंचते हैं। इसका खामियाजा ग्रामीण बच्चों को भुगतना पड़ रहा है—उनका शैक्षिक स्तर इतना कमजोर हो गया है कि वे हिंदी और अंग्रेजी पढ़ने, यहां तक कि गणित के सामान्य सवाल हल करने में भी असमर्थ हैं।

हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 8 अगस्त 2025 को जयदेश न्यूज की टीम जब पापड़ा माध्यमिक एवं प्राथमिक शाला पहुंची तो साढ़े तीन बजे ही स्कूल में ताला लटका मिला। खामखेड़ा और देवरीगंज हाई स्कूल में भी शाम 4 बजे ताला बंद पाया गया, जबकि स्कूल का निर्धारित समय 10:30 से 4:30 बजे तक है।

ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था की इस बदहाली के लिए सिर्फ एक नहीं बल्कि ऊपर से लेकर नीचे तक सभी जिम्मेदार हैं। सबको जानकारी होने के बावजूद कार्रवाई के नाम पर महज औपचारिकता निभाई जाती है और रिश्वतखोरी के चलते हालात जस के तस बने हुए हैं।

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यह लापरवाही गरीब और ग्रामीण बच्चों के भविष्य को अंधकार की ओर धकेल रही है। अब देखने वाली बात यह है कि इस रिपोर्ट के बाद विभाग लापरवाह शिक्षकों के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाता है या नहीं।

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