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वाराणसी

धोखाधड़ी मामले में कोर्ट सख्त, पुलिस की फाइनल रिपोर्ट खारिज

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वाराणसी में संपत्ति कब्जा करने के लिए कथित रूप से धोखाधड़ी और कूटरचना करने के मामले में पुलिस द्वारा दाखिल अंतिम रिपोर्ट को कोर्ट ने निरस्त कर दिया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मनीष कुमार की अदालत ने वादिनी प्रभा चोपड़ा की ओर से दाखिल प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया।

वादिनी का आरोप है कि आरोपी रमेश चोपड़ा, उनकी पत्नी मीरा चोपड़ा और पुत्री रिचा चोपड़ा ने फर्जी तरीके से खुद को भवन का मालिक बताते हुए ट्रस्ट डीड बनवाकर उसे पंजीकृत कराया और भवन पर कब्जा कर लिया। यह भवन गढ़वासी टोला, चौक स्थित मकान नंबर सीके 8/49 है, जिसके वास्तविक स्वामी वादिनी के पिता स्वर्गीय देव कुमार चोपड़ा थे।

वादिनी ने बताया कि 5 अगस्त 2018 को जब वह भवन की देखरेख के लिए वाराणसी आईं, तो आरोपियों ने उन्हें घर में प्रवेश से रोका, अपमानित किया और जान से मारने की धमकी दी। बाद में जांच में सामने आया कि 14 दिसंबर 2017 को आरोपियों ने कथित रूप से जालसाजी और कूटरचना के जरिए ट्रस्ट विलेख तैयार कर उप-निबंधक द्वितीय वाराणसी के कार्यालय में पंजीकृत कराया।

मामले में पुलिस ने विवेचना के बाद अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी थी, जिसे वादिनी ने चुनौती देते हुए अग्रिम विवेचना की मांग की। अदालत ने पत्रावली का अवलोकन करने के बाद पाया कि विवेचना में गंभीर लापरवाही हुई है और विपक्षियों से मिलीभगत की आशंका है। इसके बाद कोर्ट ने पुलिस की फाइनल रिपोर्ट निरस्त कर अग्रिम विवेचना का आदेश दिया।

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