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वाराणसी

दालमंडी में 190 मकान और छह मस्जिदें ध्वस्तीकरण की जद में, लोगों ने जताया विरोध

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मस्जिद कमेटी ने डीएम को भेजा पत्र

वाराणसी। दालमंडी इलाके में सड़क चौड़ीकरण को लेकर बड़ी कार्रवाई के खिलाफ विरोध शुरू हो गया है। पिछले दिनों पीडब्ल्यूडी ने मापी कर 190 मकानों और 6 मस्जिदों पर लाल निशान लगा दिए, जिससे ये ध्वस्तीकरण की जद में आ गए हैं। अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के सेक्रेटरी मोहम्मद यासीन ने जिलाधिकारी और पीडब्ल्यूडी को पत्र भेजकर कड़ा विरोध दर्ज कराया है। उनका कहना है कि बिना सूचना दिए मस्जिदों और मकानों की मापी कर लाल निशान लगाए गए हैं।

यासीन ने कहा कि दालमंडी में स्थित लंगड़ा हाफिज मस्जिद की जिम्मेदारी उनके ऊपर है और बिना सूचित किए वहां नापी करना गलत है। उन्होंने चेतावनी दी कि किसी भी हालत में मस्जिद से समझौता नहीं होगा। यह विकास नहीं बल्कि विनाश है, क्योंकि इससे बसे-बसाए लोग उजड़ जाएंगे।

उन्होंने कहा कि दालमंडी की एक अन्य मस्जिद को लेकर पहले से कोर्ट से स्टे मिला हुआ है। अगर जरूरत पड़ी तो वे हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे। यासीन ने सवाल उठाया कि आखिर मस्जिद के हिस्से को अवैध घोषित करने के क्या सबूत हैं। उन्होंने कहा कि त्यौहारों के समय इस तरह की कार्रवाई से लोगों में तनाव बढ़ेगा। मोहर्रम और सावन नजदीक हैं, ऐसे में सरकार भी नहीं चाहती कि कोई बवाल या उपद्रव हो।

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दालमंडी की सड़क नई सड़क और चौक को जोड़ती है। 650 मीटर लंबा यह रास्ता बेहद संकरा है और अतिक्रमण से घिरा है। इसे मिनी पालिका बाजार कहा जाता है, जहां कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल एसेसरीज समेत कई तरह के कारोबार होते हैं। इस प्रोजेक्ट के लिए प्रशासन ने सरकार को 197 करोड़ का रिवाइज्ड इस्टीमेट भेजा है, जिसमें प्रभावित लोगों को मुआवजा और यूटिलिटी शिफ्टिंग का खर्च शामिल है।

इस सड़क को पहले 15 मीटर चौड़ा करने का प्लान था, लेकिन अब इसे 17.5 मीटर करने का प्रस्ताव है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में समीक्षा बैठक में इस प्रोजेक्ट को तेज करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद नगर निगम, पीडब्ल्यूडी और पुलिस प्रशासन ने मिलकर दालमंडी से लंगड़ा हाफिज मस्जिद तक मापी कर लाल निशान लगाने की कार्रवाई शुरू कर दी।

लोगों का कहना है कि काशी विश्वनाथ धाम तक श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रशासन दालमंडी को वैकल्पिक रास्ते के तौर पर विकसित कर रहा है। लेकिन स्थानीय निवासी और मस्जिद कमेटी इसे विनाशकारी मान रहे हैं और विरोध में कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।

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