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पूर्वांचल

डीजीपी और एडीजीपी के आदेश की खिल्ली उड़ा रहे थाना प्रभारी

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चंदौली। जनपद के सैयदराजा थाना प्रभारी के एसओजी और प्राइवेट नंबर पर पत्रकार द्वारा फोन किए जाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई। जबकि डीजीपी और एडीजीपी का स्पष्ट निर्देश है कि पत्रकारों को प्राथमिकता दी जाए। पत्रकार ने थाना प्रभारी से चंदौली के नौबतपुर स्थित एक पेट्रोल पंप पर दो दिन से खड़ी लावारिस गाड़ी के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाही जिसे पेट्रोल पंप मालिक की सूचना पर पुलिस ने थाने ले जाकर खड़ा कर दिया था।

पत्रकार का कहना था कि दो दिन तक पेट्रोल पंप पर बिना किसी जांच के लावारिस गाड़ी खड़ी रही। जिससे कोई बड़ी वारदात भी हो सकती थी। लेकिन पुलिस 48 घंटे तक सोई रही। यदि पेट्रोल पंप मालिक फोन करके थाना प्रभारी को अवगत ना कराते तो गाड़ी वहीं पर महीनों लावारिस पड़ी होती या फिर कुछ बड़ा हादसा हो सकता था।

पेट्रोल पंप मालिक ने थाना प्रभारी को इसकी जानकारी दी जिसके बाद गाड़ी को सैयदराजा थाने ले जाया गया। हालांकि गाड़ी में क्या था और यह किसकी है इन सवालों के जवाब जानने के लिए पत्रकार ने थाना प्रभारी को कॉल किया लेकिन उनका फोन नहीं उठाया गया।

इस घटना ने पत्रकारों में आक्रोश पैदा कर दिया है। उनका कहना है कि पुलिस अधिकारियों को पत्रकारों के प्रति सहयोगात्मक रवैया अपनाना चाहिए विशेष रूप से तब जब संभावित खतरों की आशंका हो।

पत्रकारों का यह भी कहना है कि सरकार द्वारा प्रदेश के प्रायः सभी थानों पर थाना इंचार्जों को आमजन की समस्याएं तत्काल सुनने के उद्देश्य से ही सीओजी नम्बर दिये गये हैं। यदि पुलिस पत्रकारों का सहयोग करेगी तो पत्रकार भी पुलिस का सहयोग करेंगे। अपराध की घटनाओं को रोकना पुलिस और पत्रकार दोनों का मुख्य उद्देश्य होता है।

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