वाराणसी
डीएमओ ने फाइलेरिया नेटवर्क को सुझाए बचाव के टिप्स
कार्यशाला
- साफ-सफाई, व्यायाम के साथ संचार क्षमता वर्धन के बारे में बताया
- फाइलेरिया नेटवर्क वालंटियर्स की प्रशिक्षण कार्यशाला हुई आयोजित
वाराणसी: फाइलेरिया मुक्त भारत के लिए फाइलेरिया (हाथीपांव/फीलपांव) रोगियों को ही नहीं बल्कि हम सबको मिलकर आगे आने की जरूरत है। इसके लिए समुदाय को जागरूक करने के साथ ही उनका व्यवहार परिवर्तन करने की आवश्यकता है। यह कहना है जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) शरद चंद पाण्डेय का। डीएमओ मंगलवार को पिंडरा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर हुई फाइलेरिया नेटवर्क वालंटियर्स की प्रशिक्षण कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एक बार फाइलेरिया (हाथ, पैरों, अंडकोषों व स्तन में सूजन) रोग हो जाने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है। शुरू में दवा खाने, साफ-सफाई रखने व व्यायाम या योग करने से इसको नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही दिव्यांग्ता से बचा जा सकता है।
यह कार्यशाला स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार), पाथ व डब्ल्यूएचओ संस्था के सहयोग से आयोजित हुई। इसमें फाइलेरिया (हाथीपांव) के लगभग 20 रोगियों को प्रशिक्षण देकर वालंटियर्स बनाया गया। हाथीपांव के लक्षण, कारण, बचाव, चोट, संक्रमित बीमारियों आदि के बारे में विस्तार से चर्चा की और साफ-सफाई, व्यायाम, स्वच्छता के बारे में जानकारी दी। डीएमओ ने सभी प्रतिभागियों से कहा कि समुदाय में फाइलेरिया रोगी की तरह काम न करके “फाइलेरिया वालंटियर्स” की तरह काम करें। समुदाय को जागरूक करें। हाथीपांव से जुड़ी मिथक व भ्रांतियों को दूर कर व्यवहार परिवर्तन भी किया गया।
कार्यशाला का नेतृत्व कर रहे प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ राहुल सिंह ने कहा कि फाइलेरिया मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। यदि ज्यादा दिनों तक बुखार रहे, पुरुष के जननांग में या महिलाओं के स्तन में दर्द या सूजन रहे और खुजली हो, हाथ-पैर में भी सूजन या दर्द रहे तो यह फाइलेरिया के लक्षण हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में शीघ्र स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक से संपर्क कर जांच कराएं और चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही आवश्यक दवा का नियमित रूप से सेवन करें। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया से बचना है तो घर और आस-पास सफाई रखना जरूरी है। पानी का जल जमाव न होने दें, ठहरे पानी पर जला मोबिल छिड़ककर मच्छरों को पनपने से रोकें, फूल आस्तीन के कपड़ें पहनें, सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।
पाथ संस्था के रीजनल एनटीडी अधिकारी (आरएनटीडीओ) डॉ सरीन कुमार ने फाइलेरिया रोग व उसके प्रबंधन पर प्रस्तुतीकरण के माध्यम से हाथीपांव की सभी सात स्टेजों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। सीफार संस्था के स्टेट प्रोग्राम मैनेजर (एलएफ़/वीएल) डॉ सतीश कुमार पाण्डेय ने संचार कौशल की जानकारी देते हुये लोगों को जागरूक करने के बारे में जानकारी दी। रोल प्ले के जरिए आईडीए/एमडीए में दवा खाने से इन्कार करने वाले लोगों को प्रेरित करने का गुण भी सिखाया गया। उन्होंने कहा कि जानकारी देते समय सभी संदेश स्पष्ट होने चाहिए। आईएडी फाइलेरिया एकीकृत उपचार केंद्र केरल की सिस्टर हरिणाक्षी ने केंद्र में मौजूद उपचार संबंधी सुविधाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
इस मौके पर ब्लॉक सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक विजय यादव, मलेरिया निरीक्षक ओमप्रकाश, पाथ से डॉ सरीन कुमार, सीफार से डॉ सतीश पाण्डेय, सुबोध दीक्षित व विजय, डबल्यूएचओ से डॉ निशांत, एनएलआर से बिपिन सिंह, आईएडी फाइलेरिया उपचार केंद्र से प्रज्ञा त्रिपाठी, हरिणाक्षी, बिन्दु, हेल्थ पर्यवेक्षक अभिषेक राय एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहे।
अब काफी आराम है : भारती
पिंडरा ब्लॉक की 25 वर्षीय भारती ने बताया कि उन्हें करीब सात साल से बाएं पैर में हाथीपांव की बीमारी है। पहले इतनी जानकारी नहीं थी इसलिए इसका इलाज चौकाघाट स्थित सरकारी अस्पताल में कराया। लेकिन आराम नहीं मिला। कुछ दिनों पहले वह फाइलेरिया नेटवर्क से जुड़कर अपने प्रभावित अंग का ख्याल रख रही हैं। साफ-सफाई, योग, व्यायाम आदि पर ध्यान दे रही हैं। इससे काफी आराम है।
