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बलिया

ट्रांसफर पॉलिसी की उड़ रही धज्जियां, उभांव थाने में अधिकारी की दशकीय पोस्टिंग

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बलिया। बलिया जनपद का उभांव थाना इन दिनों स्थानीय पुलिस महकमे में चर्चाओं के केंद्र में है। वजह है—इस थाने पर लगातार दस वर्षों से तैनात पुलिसकर्मी मनीष कुमार यादव, जिनकी तैनाती अब सवालों के घेरे में आ गई है।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जब उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पष्ट नीति के तहत किसी भी पुलिसकर्मी को अधिकतम तीन वर्षों तक ही एक थाना क्षेत्र में तैनात किया जा सकता है, तो मनीष यादव की एक दशक से चल रही तैनाती न केवल इस नियम का खुला उल्लंघन मानी जा रही है, बल्कि इससे विभागीय पारदर्शिता और निष्पक्षता पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लग गया है।

कहा जा रहा है कि उभांव थाना एक ‘मलाईदार पोस्टिंग’ मानी जाती है—जहां न सिर्फ स्थानीय जनसंपर्क मजबूत होता है, बल्कि अतिरिक्त लाभ की संभावना भी रहती है।

यही कारण है कि जिले में जब-जब तबादले की सूची बनती है, मनीष यादव का नाम उसमें दिखाई ही नहीं देता।विभागीय सूत्र बताते हैं कि मनीष यादव की मजबूत पकड़ बलिया से लेकर राजधानी लखनऊ तक है। वहीं दूसरी ओर, कई मेहनती और योग्य पुलिसकर्मी वर्षों से स्थानांतरण की प्रतीक्षा में हैं, जो विभाग के भीतर पनप रही असमानता और पक्षपात की ओर इशारा करता है।इस पूरे मामले पर पुलिस प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

हालांकि, यह कहा जा रहा है कि मामला अब उच्च स्तर तक पहुंच चुका है और जल्द ही कोई ठोस निर्णय लिया जा सकता है।स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने भी इस मुद्दे को गंभीर मानते हुए आवाज़ उठाई है।

उनका कहना है कि पुलिस व्यवस्था में इस प्रकार की ‘सेटिंग संस्कृति’ न केवल आमजन के भरोसे को तोड़ती है, बल्कि कानून के राज पर भी चोट करती है। अब देखना यह होगा कि क्या विभाग इस ‘दशकीय तैनाती’ पर संज्ञान लेकर कार्यवाही करता है या फिर हमेशा की तरह चुप्पी की चादर तान ली जाएगी।

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