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वाराणसी

टोल प्लाजा पर फायरिंग और अपहरण के प्रयास के आरोपी को मिली जमानत

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वाराणसी। विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) कोर्ट यजुवेन्द्र विक्रम सिंह की अदालत ने जुलाई 2017 के लंका थाने के टोल प्लाजा पर जबरदस्ती कर मारपीट करने, ललकारने, अपहरण व हत्या करने के प्रयास से फायरिंग करने के मामले में आरोपी को जमानत दे दी। मेहता नगर कॉलोनी थाना शिवपुर निवासी आरोपी संदीप सिंह को 50-50 हजार रुपये की दो जमानते एवं बन्धपत्र देने पर रिहा करने का आदेश दिया। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता वरूण प्रताप सिंह ने पक्ष रखा।

अभियोजन पक्ष के अनुसार रोहनिया के बेटावर निवासी ईंट भट्ठा संचालक सर्वेश तिवारी ने लंका थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप था कि 6 जुलाई 2017 को सांयकाल करीब 7.30 बजे वह अपनी सफारी गाड़ी से रामनगर से घर वापस लौट रहा था कि अभी डाफी टील प्लाजा से 100 मीटर पहले ही पहुंचा था तभी पीछे से आ रही बसपा झंडा लगाया हुए सफेद रंग की दो फारच्यूनर व एक सफारी गाड़ी प्रार्थी की गाड़ी को ओवरटेक कर रोक दिये।

उस समय प्रार्थी की गाड़ी में प्रार्थी के साथ सीर निवासीगण संतोष यादव, राजेश यादव, गुड्डू यादव व चालक अजीत पाल मौजूद थे। बदमाशों की संख्या लगभग 12 थी। जिसमे एक व्यक्ति जिसका नाम अतुल राय जो कि अभी विधान सभा चुनाव में जमानियां गाजीपुर से बसपा प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़ा था। वह मौजूद था। जिसको प्रार्थी पहचान लिया। ये लोग आपस में एक दूसरे को ललकारते हुए तथा प्रार्थी को गाली देते हुए बोले कि इसको अपनी गाड़ी में ले चलो।

प्रार्थी तथा प्रार्थी के साथ मौजूद लोगों के विरोध करने पर सभी बदमाश प्रार्थी को बुरी तरह से मारे तथा प्रार्थी का अपहरण कर जबरिया अपनी फारच्यूनर गाड़ी में लाद लिए। इसी बीच मौका पाकर प्रार्थी के चालक के द्वारा प्रार्थी के घर फोन कर दिया गया। प्रार्थी के परिवार के कई लोग उस समय अखरी बाईपास चौराहे पर कुछ कार्यवश मौजूद थे. जो सूचना पाकर आगे बढ़कर मौके पर पहुँच कर बदमाशों की गाड़ी को रोक लिए।

जिसके बाद सभी बदमाश लगभग 25 राउंड पिस्टल व रायफल से फायरिंग किये। जिसके कारण प्रार्थी के परिवार को पीछे हटना पड़ा तथा प्रार्थी को बदमाश अपनी गाड़ी से धक्का देकर बाहर फेंक दिये तथा प्रार्थी को लक्ष्य कर जान से मारने की नीयत से दो तीन गोली फायर किये परंतु भाग्यवश प्रार्थी को गोली लगी नहीं तथा मौके का फायदा उठाकर सभी बदमाश भाग गये।

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अदालत में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता वरूण प्रताप सिंह ने तर्क दिया कि आरोपित को गलत एवं विधि विरूद्ध तरीके से नामित कर दिया गया है। वह घटना में संलिप्त नही हैं, तथा नामित नहीं है। आरोपित द्वारा विधानसभा के चुनाव में तत्कालीन सरकार के लड रहे प्रत्याशी का विरोध किया गया था, जिस कारण राजनैतिक द्वेषवश उसे उक्त अपराध में नामित कर दिया गया है। वह सी०सी०टी०वी० में उपस्थित नहीं है।

आरोपित द्वारा उच्च न्यायालय में कि० मिस० रिट पेटीशन नंबर 28650/2017 प्रस्तुत किया गया था, जिस पर  उच्च न्यायालय द्वारा आदेश 18 जनवरी 2018 पारित कर आरोप पत्र प्रेषित करने तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गयी थी। मामले में सह आरोपित गौरव कुमार द्विवेदी व तबरेज खान की अग्रिम जमानत 3 जुलाई 2024 को स्वीकार की जा चुकी है तथा 23 दिसम्बर 2017 को सह आरोपित शोभित सिंह उर्फ गोलू की जमानत स्वीकार की जा चुकी है व सह आरोपित सुजीत सिंह की जमानत उच्च न्यायालय से स्वीकार की जा चुकी है। आरोपित को सह आरोपितों द्वारा नाम बताये जाने के आधार पर नामित किया है।

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