चन्दौली
टॉयलेट में मिला नवजात, डॉक्टरों ने दी नई जिंदगी

निर्दयी माता-पिता ने छोड़ा मासूम, सफाईकर्मी ने पेश की मानवता की मिसाल
चंदौली। एक तरफ जहाँ माता-पिता बच्चों की चाह में बड़े से बड़े डॉक्टर, तांत्रिक, ओझा सहित मंदिरों पर माथा टेक ईश्वर से सुनी गोद भरने की कामना कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ जिला अस्पताल में संचालित महिला चिकित्सालय में किसी बेदर्द माता-पिता ने टॉयलेट की सीट में एक नवजात शिशु को मरने के लिए छोड़ दिया। लेकिन एक कहावत है— वह समां क्या बुझे जिसे रोशन खुद खुदा ने किया हो। कुछ ऐसा ही नजारा जिला अस्पताल में संचालित महिला चिकित्सालय के टॉयलेट में देखने को मिला।
सफाई कर्मी जनार्दन महिला चिकित्सालय के टॉयलेट में सफाई करने पहुँचा तो उक्त टाइल के पानी वाले सीट पर खून से लथपथ मासूम को देख भौंचक रह गया। सफाई कर्मी जनार्दन ने नवजात के मिलने की सूचना जिला अस्पताल के सुपरवाइजर अशोक तिवारी को दी। सुपरवाइजर अशोक तिवारी ने तत्काल सीएमएस डॉ. एस.पी. सिंह को जानकारी दी। नवजात के मिलने की सूचना प्राप्त होते ही सीएमएस डॉ. एस.पी. सिंह सहित चिकित्सक और नर्स तत्काल टॉयलेट रूम की तरफ भागे।
बच्चे को नर्स द्वारा चेक किया गया तो ऐसा लगा मानो उसकी साँसें थम गई हों। स्टाफ नर्स निधि ने बच्चे की नब्ज टटोली तो उसके शरीर में किसी प्रकार की हरकत नहीं थी। बच्चे की जान बचाने के लिए डॉक्टर रविशंकर सिंह सहित अन्य चिकित्सा कर्मियों ने सीपीआर के माध्यम से उसके सीने पर दबाव लगाया। तत्पश्चात एनेस्थीसिया विशेषज्ञ सीएमएस ने हार्ट के पास एक इंजेक्शन लगाया। चिकित्सकों के प्रयास से नवजात शिशु को जीवनदान मिल गया।
बच्चे का वजन कराया गया तो उसका वजन लगभग 2 किलो 400 ग्राम पाया गया। एक सामान्य जन्मे बच्चे का भी वजन लगभग ढाई किलो ही होता है। स्वास्थ्य कर्मियों के अथक प्रयास से नवजात शिशु अब पूरी तरह खतरे से बाहर है।
लोगों का कहना था कि बच्चे की जान बचाने में चिकित्सकों का प्रयास सराहनीय रहा। इसलिए ही चिकित्सक को धरती का भगवान भी कहा जाता है। एक तरफ जहाँ उक्त बच्चे के माता-पिता ने मानवता को शर्मसार किया, वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य कर्मियों ने मानवता की मिसाल पेश कर सिद्ध कर दिया कि धरती के भगवान चिकित्सक हैं।