वाराणसी
ज्ञानवापी सर्वे में आया नया मोड़ |

वाराणसी – ज्ञानवापी केस आए दिन दिलचस्प मोड़ ले रहा है | निष्पक्ष फैसला का अधिकार जिला जज द्वारा प्रतिक्षित है | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की पांच याचिकाएं खारिज कर दिया है जिसमें तथ्य स्पष्ट नहीं थे | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1991 के मुकदमे को ट्रायल की मंजूरी दे दी है।
वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी “शृंगार गौरी” मुकदमे में ज्ञानवापी में हुए एएसआइ सर्वे को पर्याप्त नहीं मानते। उनका कहना है कि – जांच के जो बिंदु हाल में हुए सर्वे के दौरान छूट गए हैं, उनकी भी जांच होनी चाहिए। जरूरत पड़ने पर परिसर में मौजूद मलबे के नीचे सुरंग बनाकर जांच करनी होगी। हमारा स्पष्ट दावा है विवादित इमारत के मुख्य शिखर के नीचे “बाबा विश्वनाथ” का शिवलिंग है। इसकी जांच मशीन के जरिये हुई तो ठीक, वरना सुरंग बनाकर जांच की जाएगी। 32 साल से भोलेनाथ न्याय की प्रतीक्षा में हैं। हाई कोर्ट के आदेश से न्याय का रास्ता बहुत जल्द साफ होगा। हम सभी चाहते हैं कि ज्ञानवापी में भव्य मंदिर का निर्माण हो | सत्य की जीत जरूर होती है, भले ही उसमें वक्त लगे।
तो वहीं अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद के संयुक्त सचिव एएम यासीन ने कहा – अभी सिर्फ फैसला हुआ है, इंसाफ नहीं। हम प्लेट में परोसकर मस्जिद नहीं देंगे । हाई कोर्ट के आदेश का विश्लेषण कर रहे हैं। हमारी कमेटी के पदाधिकारी बैठक करके जो फैसला करेंगे उसपर अमल किया जाएगा । हर संभव कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। जरूरत पड़ने पर हम सुप्रीम कोर्ट भी जा सकते हैं |