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धर्म-कर्म

जीवन सुख मय बनाने के लिए करे सोमवती अमावस्या व्रत

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रिपोर्ट – प्रदीप कुमार

वाराणसी। हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व माना जाता है। पंचांग के अनुसार, साल में कुल 12 अमवस्याएं पड़ती हैं। इन्हीं में से एक है सोमवती अमावस्या। सोमवती अमावस्या कार्तिक अमावस्या के दिन पड़ने जा रही है।
वस्तुत: इस वर्ष 13 नवंबर, दिन सोमवार सोमवार को हैं।
सोमवती अमावस्या पर ऐसे में ब्रह्म मुहूर्त के दौरान स्नान-दान करना उत्तम रहेगा। इसके अलावा इस दिन सौभाग्य, शोभन और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण भी हो रहा है।
उक्त बातें आयुष्मान ज्योतिष परामर्श सेवा केंद्र के संस्थापक साहित्याचार्य ज्योर्तिविद आचार्य चन्दन तिवारी ने बताया कि सोमवती अमावस्या के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें। पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं तो यह और भी अच्छा रहेगा। फिर इसके बाद सूय देव (सूर्य देव की आरती) को अर्घ्य दें और सूर्य मंत्रों का जाप करें। फिर शिव जी की पूजा करें। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। बेलपत्र, धतूरा, पुष्प आदि अर्पित करें।

शिव पूजा के बाद पीपल, तुलसी, वट, आंवला आदि पेड़ लगाएं और साथ ही, इन पेड़ों का पूजन भी करें। इनमें से किसी भी एक पेड़ की पूजा एवं परिक्रमा करें। सोमवती अमावस्या पर सप्तधान्य का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। इससे नव ग्रह शांत होते हैं और कृपा बरसाते हैं।
सोमवती अमावस्या पर दोपहर के समय जल में काला तिल, कुश, फूल डालकर पितरों के निमित्त तर्पण करें। साथ ही, पितरों के नाम से धोती, गमछा, बनियान आदि वस्त्रों का दान करें। सोमवती अमावस्या के दिन गजेंद्र मोक्ष और गीता का पाठ मुख्य रूप से करें। यह बहुत शुभ है।
सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मितली है। साथ ही, पितरों के निमित्त दान करने से न सिर्फ पितृ दोष दूर होता है बल्कि पितृ प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद परिवार पर बरसाते हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा भी होती है।

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