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मुम्बई

जाते-जाते चार लोगों को नया जीवन दे गई ‘वैदेही’

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रिपोर्ट – धर्मेंद्र सिंह धर्मा, ब्यूरो चीफ मुंबई

मुंबई। 12 साल की एक बच्ची के अंगदान से एक नहीं, बल्कि चार लोगों को नया जीवन मिला है। बच्ची के पिता का कहना है कि उनकी बेटी के अंगदान से किसी की जान बच जाए, इससे अच्छी बात क्या हो सकती है।

जानकारी के अनुसार, सांताक्रुज में रहने वाली वैदेही भाऊ तानावडे (12) का प्लेटलेट्स अकसर कम हो जाता था। सितंबर, 2020 में जांच में पता चला कि उसे इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिक नामक गंभीर बीमारी है। बच्ची का पहले कोल्हापुर, फिर नानावटी और उसके बाद वाडिया अस्पताल में इलाज चला। वैदेही को अचानक मस्तिष्क क्षति और खून की उल्टी होने के बाद 13 जुलाई की सुबह वाडिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

सीटी स्कैन में हर्नियेशन के साथ गंभीर इंट्राक्रैनियल ब्लीडिंग दिखी और उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। उसके बाद माता-पिता से बच्ची के अंग दान कर दूसरे जरूरतमंदों की जान बचाने के लिए अपील की गई। परिवार इसके लिए राजी हो गया। बच्ची की दोनों किडनी, लिवर और हृदय अन्य अस्पताल में भर्ती जरूरतमंदों के लिए भेजे गए हैं।

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बच्ची के पिता भाऊ तनावडे ने कहा कि छोटे-छोटे बच्चों की किडनी फेल हो रही है। इन मासूमों की क्या गलती है ? सभी पेरेंट्स अपने बच्चे की सेहत को लेकर काफी परेशान रहते हैं। मैंने तो अपनी बच्ची खो दी है, लेकिन उसके अंगों को दान कर मुझे इस बात की संतुष्टि है कि वो जाने से पहले 4 लोगों को नई जिंदगी देकर गई। वाडिया अस्पताल के डॉक्टरों का आभारी हूं कि उन्होंने इलाज के दौरान मेरे बच्चे की काफी सेवा की और हमारा हौसला बढ़ाए रखा।

इस दौरान वाडिया अस्पताल के पूरे स्टाफ, डॉक्टरों और नर्सों ने मिलकर अंग दान करने वाली वैदेही को सलाम किया। वाडिया अस्पताल की सीईओ डॉ मिनी बोधनवाला ने वैदेही के परिवार की सराहना की, जिन्होंने मुश्किल घड़ी में भी दूसरों की जान बचाने का सराहनीय और अविस्मरणीय फैसला लिया।

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