Connect with us

चन्दौली

चंदौली में 27 जून को निकलेगी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा

Published

on

जानिए महत्व और परंपरा

चंदौली। आगामी 27 जून शुक्रवार को चंदौली जिले में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाएगी। रथ पर भगवान विष्णु के अवतार श्रीजगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की प्रतिमाएं विराजमान रहेंगी। यह पावन यात्रा श्रद्धा, परंपरा और भक्ति का जीवंत उदाहरण होती है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेकर पुण्य अर्जित करते हैं।

पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने एक बार पुरी नगर दर्शन की इच्छा प्रकट की थी। इस पर भगवान जगन्नाथ और बलभद्र ने उन्हें रथ पर बैठाकर नगर भ्रमण कराया था। इसी परंपरा की स्मृति में ओडिशा के पुरी से लेकर देशभर में प्रत्येक वर्ष आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यह रथ यात्रा निकाली जाती है।

धार्मिक मान्यता है कि इस यात्रा में भाग लेने वाले भक्तों की सभी बाधाएं समाप्त हो जाती हैं और उनके जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। विशेष रूप से रथ यात्रा के दिन दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। भगवान जगन्नाथ के रथ निर्माण में केवल नीम की लकड़ी का प्रयोग होता है, धातु का उपयोग वर्जित है। यह रथ 16 पहियों वाला होता है और इसे विशेष विधियों से तैयार किया जाता है।

Advertisement

रथ यात्रा के दिन भगवान को विशेष भोग अर्पित किया जाता है, जिसमें पारंपरिक मिठाई मालपुआ का विशेष स्थान है। कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ को मालपुआ अत्यंत प्रिय है। यह मिठाई रथ यात्रा के दिन ही बनाई जाती है और भगवान को अर्पित करने के बाद भक्तों के बीच प्रसाद रूप में वितरित की जाती है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, मालपुआ समृद्धि और शुभता का प्रतीक है और इसका भोग चढ़ाने से जीवन में मधुरता व शांति आती है।

नगर पंचायत स्थित श्री महावीर मंदिर से हर वर्ष की तरह इस बार भी रथ यात्रा विधिविधान से प्रारंभ होगी, जो मझवार गांव होते हुए नगर भ्रमण करेगी। नगरवासी बड़े उत्साह और भक्ति के साथ भगवान की आराधना करेंगे और सुख-समृद्धि की कामना करेंगे।

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, श्रद्धा और सामाजिक एकता का प्रतीक है, जो प्रत्येक वर्ष नव ऊर्जा और अपार श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

Copyright © 2024 Jaidesh News. Created By Hoodaa