गाजीपुर
गोतस्करी का नया अड्डा बना गाजीपुर का दियारा

जौनपुर के पशुओं की डिमांड चरम पर
गाजीपुर। जिले के करंडा इलाके में गंगा नदी के दियारे में गोतस्करों की गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं। गुरैनी और गोसंदेपुर उपरवार के बीच करीब तीन किलोमीटर लंबा यह इलाका गोतस्करों के लिए सुरक्षित रास्ता बन गया है। तस्कर अब जौनपुर से पशु लाकर इन्हें गंगा के रास्ते बिहार पार करा रहे हैं।
बिहार बॉर्डर पर मेला, कमजोर पशु भी 10 हजार के पार
कर्मनाशा नदी पार करने के बाद बिहार की सीमा में एक चाय-पानी की दुकान के पीछे गोवंशीय पशुओं का मेला सजता है। यहां चुटहिल और कमजोर पशु भी 10 हजार रुपये से कम में नहीं बिकते। यूपी में बेकार माने जाने वाले इन पशुओं को तस्कर वज़न बढ़ाने वाले इंजेक्शन देकर तैयार करते हैं।
जौनपुर के पशु सबसे पसंदीदा
तथाकथित पशु व्यापारियों के मुताबिक, जौनपुर के पशुओं की कद-काठी अच्छी होती है, जो बिहार और बंगाल तक में पसंद किए जाते हैं। ऐसे पशु 25 से 30 हजार रुपये तक बिकते हैं। मिर्जापुर के पशुओं को तस्कर कम पसंद करते हैं, लेकिन उन्हें भी 10-15 हजार में खरीद लिया जाता है।
दो दिन बिना पानी रखकर ‘मीठा’ बनाते हैं मांस
पशुओं को बेचने से पहले तस्कर उन्हें दो-दो दिन तक पानी नहीं देते, जिससे उनका मांस ‘मीठा’ हो जाता है और बाजार में अच्छी कीमत मिलती है।
पुलिस से बचने के लिए हथकंडे, स्थानीय मददगार सक्रिय
तस्कर वाहन में गाय के साथ बछड़ा भी रखते हैं या पैदल खेत-मेड़ों से एक-एक पशु को ले जाते हैं। पूछने पर सफाई देते हैं कि पशु खरीदे हैं। स्थानीय लोगों की मदद से पुलिस कार्रवाई से भी बच जाते हैं।
गंगा के किनारे रेत में गाड़े जाते हैं पशु
गाजीपुर की सीमा में 13 किलोमीटर के दायरे में गोतस्कर बिचौलियों की मदद से पशुओं को गंगा पार करा रहे हैं। गंगा के किनारे बने झोपड़ियों और बाहर रखी नादों के सहारे पशु बांधे जाते हैं। मौका मिलते ही उन्हें रात 8 से 9 बजे के बीच नदी पार करा दिया जाता है।
जौनपुर में 570 तस्कर चिह्नित, कांस्टेबल की मौत
जौनपुर पुलिस ने हाल में 570 पशु तस्करों को चिह्नित किया है। इसी सिलसिले में कुछ दिन पहले जौनपुर जिले में पशु तस्करों ने ड्यूटी कर रहे एक सिपाही को कुचल दिया था। तस्करी की जड़ें कितनी गहरी हैं, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
गाजीपुर और चंदौली की सीमा पर दूर-दूर तक कोई पुलिसकर्मी नजर नहीं आता। तस्करी का पूरा नेटवर्क निर्बाध रूप से काम कर रहा है, जिससे प्रशासनिक कार्रवाई की प्रभावशीलता पर सवाल उठने लगे हैं।