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गाजीपुर: मनरेगा में कमीशनखोरी के गंभीर आरोप
गाजीपुर जिले में मनरेगा के तहत भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का खेल जारी है। शासन द्वारा श्रम पर 60 प्रतिशत और सामग्री पर 40 प्रतिशत खर्च का आदेश होने के बावजूद इसका खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। सदर ब्लॉक की नौ ग्राम पंचायतों में श्रम मद में 71.3 लाख रुपये और सामग्री मद में 1.25 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए, जबकि कई ब्लॉकों में 50-50 प्रतिशत से अधिक धनराशि सामग्री पर खर्च की गई है।
कमीशन का खेल हर स्तर पर सक्रिय
प्रधान संगठन के पूर्व जिलाध्यक्ष भयंकर यादव ने आरोप लगाया कि कार्ययोजना की स्वीकृति से लेकर भुगतान तक कमीशनखोरी हो रही है। वित्तीय वर्ष 2023-2024 में मनरेगा पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों के अनुसार, सदर ब्लॉक की 77 ग्राम पंचायतों में 2.87 करोड़ रुपये श्रम पर खर्च किए गए। नियमानुसार इस धनराशि का 40 प्रतिशत सामग्री पर खर्च होना चाहिए था, लेकिन सामग्री पर 1.65 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए।
ग्राम पंचायतों का हाल
अगस्ता सलामतपुर में श्रम पर 15.69 लाख और सामग्री पर 15.08 लाख खर्च हुए। इस्लामाबाद में श्रम पर छह लाख और सामग्री पर 19.39 लाख रुपये खर्च हुए। खिदिराबाद में श्रम पर पांच लाख और सामग्री पर 22.43 लाख, जबकि खिजिरपुर में श्रम पर 16.93 लाख और सामग्री पर 32.53 लाख रुपये खर्च किए गए।
अनुपात की अनदेखी
कासिमाबाद ब्लॉक की 99 ग्राम पंचायतों में 8.3 करोड़ रुपये श्रम पर और 4.41 करोड़ सामग्री पर खर्च हुए। वहीं, मनिहार ब्लॉक की 97 ग्राम पंचायतों में 12.76 करोड़ रुपये श्रम पर और 6.76 करोड़ सामग्री पर खर्च किए गए। कई अन्य ब्लॉकों में भी 60-40 के अनुपात को नजरअंदाज किया गया है।
जांच की मांग पर अनिश्चितता, आंदोलन की चेतावनी
भयंकर यादव ने बताया कि बीते 17 अक्तूबर को कमीशन के खेल की जांच के आश्वासन के बाद धरना समाप्त किया गया था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई शुरू नहीं हुई।
प्रधान संघ अध्यक्ष मदन सिंह यादव ने चेतावनी दी कि यदि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई, तो प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 23 नवंबर को दिशा समिति की सांसद की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाएगा।
प्रशासन का पक्ष
उपायुक्त मनरेगा देवनंदन दुबे ने कहा कि शासनादेश का पालन कराया जा रहा है। जहां-जहां गड़बड़ियों की शिकायत मिली है, वहां जांच कराई जाएगी और नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
गाजीपुर जिले में मनरेगा के तहत कमीशनखोरी और अनियमितताओं को लेकर जनता में रोष बढ़ता जा रहा है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस पर क्या ठोस कदम उठाता है।