वाराणसी
गंगा घाटों पर सीवेज से बढ़ी परेशानी, छठ पूजा तक समाधान की उम्मीद

वाराणसी में भगवान सूर्य की उपासना आदि काल से होती आ रही है। यहां लोग गंगा में स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देकर डाला छठ का व्रत पूर्ण करते हैं। इस समय कार्तिक माह का स्नान भी चल रहा है। गंगा घाटों पर भक्तों के पैर सीवेज के पानी में डूब रहे हैं क्योंकि कई घाटों पर होटल, आश्रम, और रेस्टोरेंट का सीवेज गंगा में जा रहा है। इस समस्या को अभी तक नहीं रोका जा सका है, और इसके जिम्मेदारों की नींद अब टूटी है। देखना है कि इसका समाधान कब तक हो पाएगा।
जानकारों के मुताबिक गंगा घाटों पर कई स्थानों पर चेंबर और पाइपलाइनें टूट चुकी हैं जिसके कारण सीवर ओवरफ्लो होकर गंगा में बह रहा है। विश्वनाथ मंदिर के पास मणिकर्णिका सहित 13 घाटों से सीवर गंगा में जा रहा है। इन घाटों पर बिछाई गई सीवर लाइन जगह-जगह से लीक और ओवरफ्लो हो रही है।
मानमंदिर और ललिता घाट पर सीवेज बहने की वजह से भक्तों को परेशानी हो रही है। संकठा घाट समेत कई अन्य घाटों पर भी यही समस्या है।
84 घाटों पर कई आश्रम जैसे देवरहा बाबा आश्रम, रामजानकी मठ, श्री विद्यामठ, जूना अखाड़ा, और सतुआ बाबा आश्रम हैं, जिनका सीवेज सीवर लाइन से कनेक्ट है, लेकिन लाइनें क्षतिग्रस्त होने के कारण यह सीवर गंगा में बह रहा है। करीब 35 होटल, गेस्ट हाउस और रेस्टोरेंट भी घाटों पर स्थित हैं और उनकी सीवर लाइन भी घाटों पर बिछी सीवर पाइपलाइन से जुड़ी है जो क्षतिग्रस्त होकर गंगा में पहुंच रही है।
गंगा सफाई अभियान के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हो पाया है। 8 एसटीपी भी गंगा में गिर रहे सीवेज को रोकने में असफल रहे हैं। वाराणसी में 432 एमएलडी सीवेज शोधित कर गंगा में भेजा जा रहा है, जबकि कुल 532 एमएलडी सीवेज निकल रहा है, जिससे अब भी करीब 100 एमएलडी सीवेज सीधे गंगा में जा रहा है। अस्सी और वरुणा से भी सीवेज गंगा में मिल रहा है।
जल निगम का कहना है कि गंगा में जो सीवेज नालों से जा रहा है वह अस्थायी ट्रीटमेंट सिस्टम से होकर जा रहा है। बारिश के दौरान पंपिंग स्टेशनों पर बाईपास पाइप से पानी गिरता है जिसे बारिश का पानी मानते हैं न कि सीवेज। बाढ़ के दौरान पांच पंपिंग स्टेशन बंद रहे जिससे पाइप लाइन और पंपों में सिल्ट जमा हो गई जिसे हटाने का काम जारी है। उम्मीद है कि छठ पूजा तक सभी पंप चालू हो जाएंगे और गंगा में सीवेज नहीं जाएगा।