चन्दौली
किसान की समृद्धि की चाबी है बाजार-केंद्रित खेती और कृषि उद्यमिता : अभिनव यादव

चंदौली। आज के कृषि परिदृश्य में बाजार-केंद्रित खेती और कृषि उद्यमिता किसानों की आय बढ़ाने का सबसे प्रभावी और दूरदर्शी माध्यम बनकर उभरे हैं। कृषि विशेषज्ञ अभिनव यादव का स्पष्ट मत है कि अब किसानों को पारंपरिक खेती के दायरे से बाहर निकलकर खेती को एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में अपनाना चाहिए, जिसमें केवल उत्पादन नहीं, बल्कि उत्पाद की योजना, गुणवत्ता, मूल्यवर्धन और विपणन की पूरी प्रक्रिया शामिल होनी चाहिए।
बाजार-केंद्रित खेती का आशय यह है कि किसान अपनी फसल की योजना इस आधार पर बनाएं कि किस फसल या उत्पाद की बाजार में मांग अधिक है, कौन-सी फसल किस मौसम में और किन क्षेत्रों में अधिक लाभ दे सकती है, और उपज को कैसे प्रसंस्करण, पैकेजिंग और ब्रांडिंग के माध्यम से बेहतर मूल्य पर बेचा जा सकता है। जैसे, यदि किसान टमाटर को कच्चे रूप में ₹10 प्रति किलो बेचने की बजाय उससे सॉस या चटनी तैयार कर ₹40-60 प्रति किलो बेचें, तो यह सीधे-सीधे चार से छह गुना लाभ है।
इसी तरह दूध को पनीर, दही, घी या मिठाइयों के रूप में बेचकर, अनाज से रेडी-टू-कुक मिक्स या दलिया बनाकर, और फलों से जैम, जूस या स्क्वैश बनाकर आमदनी को कई गुना बढ़ाया जा सकता है। वहीं, शहरी क्षेत्रों में औषधीय पौधों, फूलों, जैविक उत्पादों और विदेशी सब्जियों की मांग बढ़ती जा रही है, जिससे ग्रामीण किसान विशेष उत्पादों की ओर रुख कर अधिक लाभ कमा सकते हैं।
अभिनव यादव यह भी बताते हैं कि अब सरकार किसानों को उद्यमिता की ओर बढ़ाने के लिए अनेक योजनाएं चला रही है – जैसे प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड, स्टार्टअप इंडिया, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और आत्मा जैसी योजनाएं किसानों को पूंजी, तकनीकी प्रशिक्षण, जोखिम सुरक्षा और बाजार तक सीधी पहुंच प्रदान करती हैं।
इसके अलावा ई-नाम (e-NAM) जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म किसानों को देशभर के खरीदारों से जोड़ते हैं, जिससे बिचौलियों की भूमिका घटती है और उन्हें अपने उत्पाद का उचित मूल्य मिल पाता है। वहीं, किसान उत्पादक संगठन (FPOs) अब किसानों को संगठित कर प्रसंस्करण इकाइयों, पैकेजिंग, भंडारण, परिवहन और विपणन नेटवर्क से जोड़ने का सशक्त माध्यम बनते जा रहे हैं, जिससे छोटे और मध्यम किसान भी बड़े खरीदारों से सीधे जुड़ पा रहे हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), कृषि विश्वविद्यालय और प्रशिक्षण संस्थान किसानों को तकनीकी जानकारी, व्यावसायिक कौशल और नई कृषि तकनीकों से जोड़ने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं, जिससे खेती अब केवल परिश्रम नहीं, बल्कि प्रबंधन और नवाचार की मांग करने वाला क्षेत्र बन गया है।
विशेषकर युवा किसानों के लिए यह एक स्वर्णिम अवसर है कि वे खेती के साथ-साथ मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, फूलों की खेती, बकरी पालन, जैविक खेती, मत्स्य पालन और कृषि पर्यटन जैसे विविध क्षेत्रों में कदम रखें और आय के नए स्रोत बनाएं। यदि किसान केवल उत्पादन तक सीमित न रहकर पूरी मूल्य श्रृंखला – उत्पादन, प्रसंस्करण, ब्रांडिंग, पैकेजिंग और विपणन – में सक्रिय भागीदारी करें, तो वे न केवल अपनी आमदनी कई गुना बढ़ा सकते हैं, बल्कि अपने गांव और समाज के लिए रोजगार और आर्थिक समृद्धि का एक नया मॉडल स्थापित कर सकते हैं।
कृषि विशेषज्ञ अभिनव यादव का यही संदेश है कि अब किसान केवल अन्नदाता नहीं, बल्कि दूरदर्शी, नवाचारी और जागरूक उद्यमी बनें। तभी कृषि को उसका वास्तविक गौरव और किसानों को उनका सच्चा आर्थिक अधिकार प्राप्त होगा।