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मिर्ज़ापुर

किसानों पर कर्ज का कहर: मड़िहान के अन्नदाताओं की बदहाल स्थिति

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क्या सिर्फ चुनावी मुद्दा बनकर रह जाएगी कर्जमाफी ?

बैंक की लापरवाही बनी परेशानी का कारण

मिर्जापुर। जनपद के मड़िहान क्षेत्र के किसानों की बदहाली थमने का नाम नहीं ले रही है। नेशनलाइज्ड बैंकों द्वारा कर्ज वसूली का दबाव बढ़ाने से किसानों की परेशानियां दिन-ब-दिन गहरी होती जा रही हैं। हालात यह हैं कि बैंकों के शिकंजे और राजस्व विभाग की वसूली टीमों के आकस्मिक दौरे किसानों के लिए दहशत का कारण बन गए हैं।

बिना सूचना दबिश, किसानों में डर का माहौल
बुधवार को मड़िहान क्षेत्र के प्रतिष्ठित किसानों के घरों पर बिना पूर्व सूचना के राजस्व विभाग और इंडियन बैंक के अधिकारियों ने बकाया कर्ज वसूली के लिए दबिश दी। अचानक घर पर अधिकारियों को देखकर किसान गहरे सदमे में आ गए।

एक किसान ने बताया कि उसने कामधेनु योजना के तहत लोन लिया था। इस योजना में 33% की छूट का प्रावधान था, जिसके लिए मामला न्यायालय में विचाराधीन है। लेकिन बैंक ने न्यायालय का फैसला आने तक का इंतजार नहीं किया।

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बैंक की लापरवाही बनी परेशानी का कारण
पीड़ित किसानों ने आरोप लगाया कि बैंकों की लापरवाहियों के कारण उनकी परेशानियां और बढ़ गई हैं। एक किसान ने बताया कि उसने केसीसी का पूरा कर्ज चुका दिया था, लेकिन बैंक ने वह राशि केसीसी खाते में ट्रांसफर नहीं की। इसके चलते उसकी सिबिल स्कोर घटकर 5% रह गई।

जबकि इंडियन बैंक प्रबंधक ने सफाई दी कि कर्ज की राशि किसान के बचत खाते में डाली गई थी। पर केसीसी खाते में ट्रांसफर के लिए सूचना नहीं मिली। सवाल यह उठता है कि वसूली के लिए दबाव डालने वाले बैंक कर्मी बचत खाते में मौजूद धनराशि पर ध्यान क्यों नहीं देते?

कर्ज के दबाव से टूट रहे किसान
एक अन्य किसान ने बताया कि उसके पिता की मृत्यु के बाद घर चलाने का भार उस पर है। मृतक पिता द्वारा लिए गए कर्ज की वसूली के लिए बैंक और राजस्व विभाग का दबाव बढ़ता जा रहा है।

राजस्व विभाग और बैंक कर्मियों द्वारा बिना सूचना के दौरे और वसूली अभियान से किसानों में भय का माहौल है। संपत्तियों की नीलामी के जरिए कर्ज वसूली से किसानों के मान-सम्मान को ठेस पहुंचाई जा रही है।

क्या सिर्फ चुनावी मुद्दा बनकर रह जाएगी कर्जमाफी?
क्षेत्र के किसान सवाल उठा रहे हैं कि कर्जमाफी का वादा सिर्फ चुनावों तक सीमित रहेगा या उन्हें वास्तव में राहत मिलेगी। सरकार और बैंकों के बीच की खींचतान का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। किसानों की बदहाल स्थिति पर सरकार और बैंक प्रबंधन को तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। कर्ज वसूली के लिए नियमों और न्यायिक प्रक्रिया का पालन हो और किसानों को सम्मानपूर्वक समाधान का मौका दिया जाए।

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