Connect with us

वाराणसी

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विज्ञान संस्थान स्थित सेमिनार संकुल में संगोष्ठी का आयोजन

Published

on

वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विज्ञान संस्थान स्थित सेमिनार संकुल में “बंगाल में संस्थानिक हिंसा के स्वरूप एवं निदान” विषयक संगोष्ठी में डा.श्यामाप्रसाद मुखर्जी शोध फाउंडेशन के निदेशक डाॅ. अनिर्बान गांगुली ने बताया कि किस प्रकार पूरा बंगाल संस्थागत राजनीतिक हिंसा का शिकार हो गया है और इसका स्वरूप निरन्तर वीभत्स होता जा रहा है।उन्होंने अपने वक्तव्य में बताया कि यह हिंसा लोकतांत्रिक्र मूल्यों को न केवल नष्ट कर रहा है अपितु बंगाल के गौरव, संस्कृति एवं सभ्यता को आघात पहुंचा रहा है ।संगोष्ठी में डॉ गांगुली की दो पुस्तक “मोदी 2.0 ” एवं “डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के शैक्षिक विचार ” पर विस्तार से चर्चा भी हुई।। इससे पहले संगोष्ठी में भारत अध्ययन केन्द्र के प्रोफेसर राकेश उपाध्याय ने बंगाल के इतिहास के दो हजार वर्षों के कालखण्ड पर प्रेरक उद्बोधन द्वारा विषय की स्थापना किया।प्रोफेसर उपाध्याय ने बताया कि किस प्रकार राष्ट्र की मिट्टी करवट ले रही है और नये भारत की संकल्पना साक्षात् हो रही है। संगोष्ठी में अध्यक्षीय उद्बोधन करते हुए विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की प्रोफेसर डाॅ अरूणा सिन्हा ने बताया कि किस प्रकार साम्राज्यवाद एवं साम्यवाद के छद्म विचारों ने बंगाल में हिंसा का आधारभूत ढांचा तैयार किया और उस पर चोट करने की आवश्यकता अब और अधिक है।इतिहास विभाग की ही डाॅ. जय लक्ष्मी कौल ने बंगाल के इतिहास और वर्तमान पर भावपूर्ण व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि बंगाल में हिंसा के तांडव के नाश में भारत की सनातन संस्कृति व मूल्य आज पहले से अधिक प्रासंगिक हो उठे हैं ।संगोष्ठी का संचालन इतिहास विभाग के डाॅ. कमलेश कुमार तिवारी ने किया ।संगोष्ठी में विवेकानन्द फाउंडेशन नई दिल्ली की अध्यक्ष डॉ अनुत्तमा गांगुली, अध्यक्ष, उ.प्र.मदरसा बोर्ड डाॅ. इफ्तिखार अहमद जावेद, डाॅ. रामाशीष जी ,डाॅ संतोष सिंह, वरिष्ठ विचारक और चिंतक अजीत कुमार जी, विनय जी देवेन्द्र जी, डाॅ आनंद त्रिपाठी सहित बड़ी संख्या में प्रोफेसर, विचारक, शोध छात्र-छात्राएँ एवं गणमान्य लोग उपस्थित रहे।कार्यक्रम का समापन राष्ट्र गान से हुआ ।

Copyright © 2024 Jaidesh News. Created By Hoodaa