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वाराणसी

काशी में मंदिरों के पुनर्निर्माण के लिए एकजुट हुए सनातनधर्मी

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वाराणसी के मंदिरों का वैभव फिर से बढ़ाने के प्रयास में अखाड़ा परिषद सक्रिय है। काशी के पुराने मंदिरों को पुनः जीवन देने के लिए कोष का निर्माण किया जाएगा जिससे इन मंदिरों का संरक्षण और जीर्णोद्धार संभव हो सके। यह अभियान महाकुंभ के अवसर पर शंखनाद के रूप में शुरू होगा और इस दौरान मंदिरों में पूजा अर्चना और राग भोग की व्यवस्था की जाएगी।

काशी विद्वत परिषद ने अखाड़ा परिषद से इस योजना को लेकर सहयोग की अपील की है और आगामी महाकुंभ में 17 जनवरी को होने वाली बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा होगी। इस बैठक में मंदिरों को संरक्षित करने के लिए बैंक खाता खोलने की सहमति भी बन सकती है।

इसके साथ ही शैव और वैष्णव परंपराओं के लोग भी इस प्रयास में एकजुट हो गए हैं। वाराणसी की गलियों में कुछ मंदिरों की पूजा बंद हो चुकी है जबकि कुछ मंदिर अब लुप्तप्राय हैं। काशी विद्वत परिषद ने ऐसे मंदिरों की पहचान करने का कार्य शुरू किया है और इन मंदिरों को फिर से बहाल करने की योजना बनाई है।

इस अभियान में मंदिरों को कब्जे से मुक्त कराने के लिए उन्हें वर्तमान सर्किल रेट पर खरीदा जाएगा और अगर कोई व्यक्ति उस स्थान पर रह रहा है तो उससे मंदिर के हिस्से को छोड़ने का अनुरोध किया जाएगा।

इसके साथ ही जहां राग भोग की व्यवस्था नहीं हो रही है, वहां इसकी शुरुआत की जाएगी और जिन मंदिरों का जीर्णोद्धार आवश्यक होगा उनका पुनर्निर्माण भी किया जाएगा। सभी मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति की जाएगी और धार्मिक कार्यों की पूरी जिम्मेदारी ली जाएगी।

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