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वाराणसी

कथक सम्राट बिरजू महाराज की अस्थियां गंगा में हुई प्रवाहित

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वाराणसी। लखनऊ संगीत घराने के पुरोधा पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज की अस्थियां शनिवार को हरिश्चंद्र घाट के सामने गंगा की बीच धारा में प्रवाहित की गयीं। इस दौरान बनारस संगीत घराने से जुड़े संगीत साधकों में शोक की लहर देखी गयी। वाराणसी पहुँचने के बाद अस्थि कलश सिगरा के कस्तूरबा नगर कॉलोनी स्थित नटराज संगीत अकादमी परिसर में रखा गया, जहां संगीत प्रेमियों और साधकों ने अंतिम पुष्पांजलि अर्पित की और कथक के माध्यम से श्रद्धांजलि दी। यहां से उनकी कलश यात्रा अस्सी घाट के लिए रवाना हुई तो रास्ते भर संगीत साधक पुष्प वर्षा करते रहे। अस्सी घाट से बजड़े द्वारा हरिश्चंद्र घाट के ठीक सामने पंडित बिरजू महाराज की अस्थियां गंगा में प्रवाहित की गयीं। दिल्ली से पंडित बिरजू महाराज के बड़े पुत्र पंडित जयकिशन महाराज और उनकी प्रमुख शिष्या साश्वती सेन अस्थि कलश लेकर काशी पहुंचे हैं। बता दें कि पंडित बिरजू महाराज का कबीरचौरा इलाके में ससुराल है और बिरजू महाराज अपने ससुराल के अभिभावक की तरह थे। बता दें कि 21 जनवरी को प्रात: से लेकर शाम तक पं. बिरजू महाराज का अस्थिकलश लखनऊ स्थित उनके पैतृक आवास पर रखा गया, जिसे बिंदादीन महाराज की ड्योढ़ी के नाम से जाना जाता है। पूरे दिन लखनऊ में उनके प्रशंसकों और चाहने वालों द्वारा अस्थि कलश पर पुष्पांजलि अर्पित की।

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