गाजीपुर
ऑपरेशन में लापरवाही से महिला की मौत, आठ साल बाद कोर्ट ने सुनाया फैसला

सेवराई (गाजीपुर)। जनपद के दिलदारनगर थाना क्षेत्र स्थित कादरी अस्पताल में चिकित्सकीय लापरवाही का मामला प्रकाश में आया है, जिसमें ऑपरेशन के दौरान हुई चूक के चलते एक प्रसूता की जान चली गई थी। इस मामले में आठ वर्षों तक न्याय के लिए संघर्ष करने के बाद सेवराई गांव निवासी रामाशीष को उपभोक्ता आयोग से राहत मिली है।
प्रकरण के अनुसार, 27 मार्च 2017 को रामाशीष ने अपनी गर्भवती पत्नी मीनाक्षी (25) को गंभीर स्थिति में कादरी अस्पताल में भर्ती कराया था। चिकित्सक डॉ. मनोज सिंह की सलाह पर उसी दिन ऑपरेशन से एक बालिका का जन्म हुआ। लेकिन ऑपरेशन के बाद मीनाक्षी की तबीयत बिगड़ने लगी।
स्थिति गंभीर होते देख परिजनों ने पहले उन्हें रजदेपुर तिराहा स्थित सिंह अस्पताल और फिर गंगा पुल के पास शम्मे हुसैनी अस्पताल में भर्ती कराया। वहां डॉ. संजीव कुमार द्वारा पुनः ऑपरेशन कर मीनाक्षी के पेट से खून सुखाने के लिए लगाया गया माप निकाला गया, जो पिछले ऑपरेशन के दौरान पेट में ही रह गया था।
इसके बाद भी मीनाक्षी की हालत में सुधार नहीं हुआ और 15 मई 2017 को उसकी मृत्यु हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि ऑपरेशन के बाद संक्रमण के कारण ही मृत्यु हुई थी। इस पर रामाशीष ने डॉ. मनोज सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई और जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में परिवाद दाखिल किया।
लगभग आठ वर्षों तक चले इस मुकदमे में आयोग के अध्यक्ष सुजीत कुमार श्रीवास्तव, सदस्य दीपा रानी व रणविजय मिश्र की पीठ ने सेवा में कमी को मानते हुए अस्पताल को दोषी ठहराया। आयोग ने अस्पताल प्रशासन को निर्देश दिया कि परिवाद दाखिल तिथि से दो माह के भीतर सात प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 12 लाख रुपये का भुगतान किया जाए। साथ ही वाद व्यय के रूप में 5,000 रुपये अलग से देने का आदेश भी पारित किया गया।
पीड़ित रामाशीष पासवान ने बताया कि पत्नी की मृत्यु के बाद उन्होंने न केवल अपनी नवजात बेटी को अकेले पाला, बल्कि कर्ज लेकर इस कानूनी लड़ाई को भी जारी रखा। उन्होंने आयोग के फैसले पर संतोष जताते हुए कहा कि इस प्रकार की चिकित्सकीय लापरवाहियों पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में किसी और की जिंदगी से खिलवाड़ न हो।