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वाराणसी

एकीकृत निक्षय दिवस पर टीबी रोगियो को प्रदान की गईं पोषण पोटली

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स्वास्थ्य केन्द्रों व हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर टीबी जांच संबंधी दी गईं सेवाएँ

जनपद की सभी टीबी यूनिट पर वितरित की गईं लगभग 236 पोषण पोटली

मैक्सवेल हॉस्पिटल के निदेशक ने 30 टीबी रोगियों को लिया गोद, प्रदान की पोटली

रिपोर्ट – प्रदीप कुमार

वाराणसी। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम व प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत सोमवार को जिले के विभिन्न स्वास्थ्य केन्द्रों, टीबी यूनिट व हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर ‘एकीकृत निक्षय दिवस’ मनाया गया। साथ ही बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में आने वाले व्यक्तियों की टीबी स्क्रीनिंग की गई और संभावित लक्षण वाले व्यक्तियों का बलगम एकत्र कर जांच के लिए भेजा गया। इसके अलावा कुष्ठ रोग, कालाजार व फाइलेरिया की भी जांच की गयी। संभावित लक्षण युक्त व्यक्तियों को जांच के लिए रेफर किया गया।
दुर्गाकुंड नगरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्थित टीबी यूनिट में मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने 11 क्षय रोगियों को पोषण पोटली प्रदान की। पोटली में चना, गुड़, मूँगफली, लाई, सत्तू व अरहर की दाल शामिल है। इस दौरान जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ पीयूष राय भी मौजूद रहे। उन्होंने क्षय रोगियों से उपचार व पोषण का हाल जाना। सीएमओ ने कहा कि नियमित दवा के सेवन साथ ही प्रोटीन व विटामिन युक्त आहार क्षय रोगियों के लिए बेहद आवश्यक है। इसलिए सभी क्षय रोगी नियमित दवा सेवन के साथ-साथ पोषक आहार पर भी अवश्य ध्यान दें। निक्षय दिवस का उद्देश्य अधिक से अधिक टीबी मरीजों को चिन्हित कर उन्हें उपचार मुहैया कराना है। साथ ही दवा व पोषण सामग्री के सहयोग से उन्हें जल्द से जल्द स्वस्थ बनाना है।
डीटीओ डॉ पीयूष राय ने कहा कि टीबी का इलाज पूरी तरह से संभव है। टीबी की दवा पूरी अवधि तक लेना है और एक भी दिन दवा छूटनी नहीं चाहिए। सभी स्वास्थ्य केन्द्रों और चिकित्सालयों में टीबी जांच की सुविधा उपलब्ध है। इसके लक्षण नजर आते ही तत्काल जांच करानी चाहिए। क्षय रोगियों के सभी सदस्यों की टीबी जांच 15 दिन या एक माह में करानी चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि गोद लिए गए क्षय रोगियों को सम्पूर्ण उपचार के साथ भावनात्मक सहयोग भी दिया जा रहा है। जरूरतमंद व आर्थिक रूप से कमजोर क्षय रोगियों को पोषण व भावनात्मक सहयोग प्रदान करने के लिए लोग आगे आएं। इसके अतिरिक्त दिवस पर जनपद में डाफ़ी बाईपास स्थित मैक्सवेल हॉस्पिटल के निदेशक के एन पाण्डेय ने 30 क्षय रोगियों को गोद लिया। डीटीओ डॉ पीयूष राय एवं सीएमएस डॉ एके दुबे की मौजूदगी में सभी क्षय रोगियों को पोषण पोटली प्रदान की गई।
शुरुआती पहचान व उपचार से ठीक होगी टीबी – डीपीसी संजय चौधरी ने कहा कि यदि टीबी की पहचान शुरुआती दिनों में हो जाए तो मरीज छह माह के सम्पूर्ण उपचार से ठीक हो जाता है। टीबी का इलाज अधूरा छोड़ने पर यह गंभीर रूप लेकर मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी के रूप में सामने आती है। टीबी के मरीज ड्रग रेजिस्टेंट न हों इसके लिए स्वास्थ्य विभाग और जिला टीबी नियंत्रण इकाई मरीजों का नियमित फॉलोअप कर रही है। इतना ही नहीं टीबी मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत उपचार के दौरान प्रतिमाह 500 रुपये पोषण भत्ते के रूप में सीधे मरीज के खाते में भेजे जाते हैं।
यहाँ वितरित हुईं पोषण पोटली – जिला पीपीएम समन्वयक नमन गुप्ता ने बताया कि काशी विद्यापीठ टीबी यूनिट पर 45 रोगियों को पोषण पोटली प्रदान की गईं। इस क्रम में गंगा सेवा सदन हॉस्पिटल की निदेशक सुशीला मौर्य की ओर से 20, डॉ स्वर्णलता सिंह की ओर से 20 तथा शुक्ला हॉस्पिटल की ओर से 5 गोद लिए गए टीबी रोगियों को पोटली वितरित की गईं। दिवस पर जनपद के सभी टीबी यूनिट पर लगभग 236 क्षय रोगियों को पोषण पोटली प्रदान की गयीं।
इस मौके पर एसटीएस उदय सिंह, एसटीएस अभिषेक प्रताप, टीबीएचवी रामकृष्ण शुक्ला, टीबी यूनिट कर्मी समेत अन्य अधिकारी व स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहे।

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