वाराणसी
अखण्ड सौभाग्य के लिए महिलाएं करती है हरितालिका तीज व्रत
रिपोर्ट – प्रदीप कुमार
हिंदू पञ्चाङ्ग के अनुसार हरितालिका तीज व्रत सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के लिए रखती हैं।
इस दिन निर्जला व्रत रहती हैं।
यह सुहागिन औरतों का सबसे बड़ा त्योहार है।
इस त्योहार को प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।
इस वर्ष सोमवार 18 सितंबर को हरितालिका तीज व्रत मनाई जाएगी।
इस दिन महिलाएं शिव, पार्वती के साथ गणेश जी की पूजा करती हैं।
इस दिन माता पार्वती और शिवजी का भजन किया जाता है।
उक्त बातें आयुष्मान ज्योतिष परामर्श सेवा केन्द्र के संस्थापक साहित्याचार्य ज्योतिर्विद आचार्य चन्दन तिवारी ने बताया कि भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है।
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से युक्त तृतीया तिथि हरितालिका वैधव्य दोष नाशक तथा पुत्र-पौत्रादि को बढ़ाने वाली होती है।
हरितालिका तीज व्रत का मुहूर्त शाम, प्रदोष काल 05:03 बजे से रात 08:16 बजे तक है।
पूजा विधि——
हरितालिका तीज के दिन विधि विधान से शिवजी और पार्वती की पूजा की जाती है। इस व्रत की पूजा प्रदोषकाल में किया जाता है।
अपने पूजा स्थान पर चौकी रखें, उस पर माता पार्वती, शिव जी और गणेश जी को स्थापित करें।
फूल और श्रृंगार का समान चढ़ाकर पार्वती जी को वस्त्र भी दान करें। इस दिन कथा सुनने का बहुत महत्व होता है। पूजा करने के बाद महिलाओं के साथ बैठकर कथा सुनें।
व्रत के नियम—–
हरितालिका तीज व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है। पूरे दिन निर्जला रहने के बाद अगले दिन जल ग्रहण किया जाता है। अगर एक बार आप इस व्रत को करना शुरू कर देते हैं तो इसे दोबारा छोड़ा नहीं जाता है।
इस व्रत को सुहागिन महिलाएं तथा कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं।
पूजन में चढ़ाएं सुहाग की चीजें
पूजा के दौरान मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, आदि। इसके अलावा श्रीफल, कलश, अबीर, चंदन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम चावल का सतू और दीपक इत्यादी प्रयोग किया जाता है।
