वाराणसी
BHU : आचार्य डॉ. प्रभाकर को ICSSR का 30 लाख का एकल शोध प्रोजेक्ट स्वीकृत
वाराणसी। प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के आचार्य डॉ. प्रभाकर उपाध्याय को इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (आईसीएसएसआर) की टेक्नोलॉजी एंड फैमिली लाइफ थीम पर 30 लाख रुपये का एकल शोध प्रोजेक्ट स्वीकृत किया गया है। यह परियोजना “दि अगारिया कुटुम्ब व्यवस्था ऐज अ लिविंग आर्काइव: अ टेक्निकल एनालिसिस ऑफ इट्स रोल इन प्रिजर्विंग एंशिएंट इंडियन आयरन मेटलर्जी” विषय पर आधारित है।
प्राचीन भारतीय लौह धातुकर्म के क्षेत्र में डॉ. उपाध्याय ने विख्यात पुरातत्ववेत्ता प्रो. विभा त्रिपाठी के साथ मिलकर डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (डीएसटी) तथा इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी की महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर शोध कार्य किया है।

इसके अतिरिक्त, डॉ. उपाध्याय द्वारा उत्खनित काशी महाजनपद के पांच महत्वपूर्ण पुरास्थलों से प्राप्त प्राचीन लौह सामग्रियों का अध्ययन “न्यूटन इंडिया ग्रांट” के अंतर्गत ऑक्सफोर्ड की रदरफोर्ड एपलिटन लैबोरेटरी में किया गया है।
उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के केमिस्ट्री विभाग के संयुक्त तत्वावधान में वाराणसी परिक्षेत्र की प्राचीन धात्विक उपकरणों से संबंधित एक परियोजना का प्रधान अन्वेषक (पी.आई.) के रूप में नेतृत्व किया। साथ ही, आईआईटी (का.हि.वि.वि) के मैटेरियल साइंस टेक्नोलॉजी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में संचालित एक अन्य परियोजना के तहत सिंहभूमि की प्राचीन ताम्र खदानों का भी अध्ययन किया है।

इसी सप्ताह डॉ. उपाध्याय एवं उनके सहयोगियों को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में टी.एल./ओ.एस.एल. डेटिंग की प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए आई.ओ.ई. से 160 लाख रुपये की संस्तुति भी प्राप्त हुई है।
अपनी समस्त उच्च शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से प्राप्त करने वाले डॉ. उपाध्याय महामना पं. मदन मोहन मालवीय जी के जीवन मूल्यों में गहरी आस्था रखते हैं। वर्तमान में वे महामना मालवीय मिशन, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय इकाई के महामंत्री के रूप में भी कार्यरत हैं। महामना परिवार की ओर से उनकी इस उपलब्धि पर हार्दिक बधाई दी गई है।
