गाजीपुर
अमृत सरोवर के नाम पर चार लाख का गबन, ग्राम प्रधान सहित छः दोषियों पर कार्रवाई का निर्देश
मरदह (गाजीपुर) जयदेश। मरदह ब्लॉक के ग्राम पंचायत सरार उर्फ हैदरगंज में अमृत सरोवर योजना के तहत भारी गबन का मामला सामने आया है। ग्राम प्रधान रमायन यादव और ग्राम पंचायत सचिव ने मिलकर अमृत सरोवर की खुदाई के नाम पर 4,08,825 का गबन किया। मामले का खुलासा मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) गाजीपुर द्वारा जांच के बाद किया गया।
ग्राम पंचायत सरार उर्फ हैदरगंज में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे निर्माण के दौरान यूपीडा (उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण) ने पोखरी गाटा संख्या 1189 की खुदाई कर मिट्टी निकाली थी। इस कार्य को पहले ही पूरा किया जा चुका था। इसके बावजूद ग्राम प्रधान रमायन यादव और ग्राम पंचायत सचिव ने उस पोखरी को अमृत सरोवर योजना के तहत दोबारा खुदाई के रूप में दिखाया और 4,08,825 की धनराशि का गबन किया।
गांव के ही निवासी जीउत बंधन राम ने मामले की शिकायत संबंधित अधिकारियों से की थी। शिकायत के आधार पर प्रकरण की जांच बीडीओ (खण्ड विकास अधिकारी), एपीओ (असिस्टेंट प्रोजेक्ट ऑफिसर, मनरेगा) और अन्य अधिकारियों की देखरेख में की गई।
जांच में पाया गया कि ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सचिव, रोजगार सेवक और तकनीकी सहायक की मिलीभगत से यह गबन हुआ। यहां तक कि खण्ड विकास अधिकारी और एपीओ मनरेगा को भी दोषी पाया गया।
मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ), गाजीपुर ने इस मामले में दोषी पाए गए सभी व्यक्तियों के खिलाफ धनराशि की वसूली का आदेश दिया है। इसके अलावा संबंधित अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की भी सिफारिश की गई है।
इस खुलासे के बाद पूरे ब्लॉक और ग्राम पंचायत में हड़कंप मचा हुआ है। ग्राम प्रधान और पंचायत से जुड़े अन्य लोग जवाबदेही से बचने का प्रयास कर रहे हैं। शिकायतकर्ता जीउत बंधन राम को सीडीओ कार्यालय से इस संबंध में आधिकारिक पत्र प्रेषित किया गया है।
दोषियों की सूची में ग्राम प्रधान रमायन यादव, ग्राम पंचायत सचिव (नाम अप्रकाशित), रोजगार सेवक, तकनीकी सहायक, एपीओ मनरेगा और खण्ड विकास अधिकारी (बीडीओ) का नाम प्रमुख है।
अमृत सरोवर जैसी महत्वपूर्ण योजना में गबन से न केवल शासन की छवि धूमिल हुई है, बल्कि इसने सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। सीडीओ द्वारा दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है, जिससे भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लग सके। इस घटना ने सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार की परतों को उजागर किया है और ग्रामवासियों की नजर में शासन की जवाबदेही पर नई बहस छेड़ दी है।
