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वाराणसी

जिला अस्पताल की पीडियाट्रिक क्रिटिकल यूनिट बंद, धुल खा रही मशीनें, डॉक्टरों का इंतजार

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क्या हैं यूनिट की समस्याएं ?

वाराणसी। जनपद के पंडित दीनदयाल उपाध्याय जिला चिकित्सालय में 12 बेड की पीडियाट्रिक क्रिटिकल यूनिट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर 17 सितंबर 2024 को हुआ। इसमें 4 आईसीयू और 8 एचडीयू बेड हैं। लेकिन तीन महीने बाद भी यह यूनिट चालू नहीं हो पाई है।

27 नवंबर को दिमागी बुखार से पीड़ित एक 13 साल की बच्ची को एडमिट किया गया जो अब रिकवर कर रही है। लेकिन आवश्यक उपकरण और जीवन रक्षक दवाओं की कमी के चलते यूनिट का संचालन सही तरीके से नहीं हो पा रहा है।

क्या हैं यूनिट की समस्याएं ?

  1. उपकरणों की कमी:
    यूनिट में आर्टिरीअल ब्लड गैस (ABG) मशीन नहीं है, जो क्रिटिकल मरीज के ब्लड का सटीक परीक्षण करती है। यह मशीन रक्त में ऑक्सीजन, कार्बन डाई ऑक्साइड और पीएच लेवल मापने में मदद करती है। बिना इस मशीन के डॉक्टर मरीज की सही स्थिति का पता नहीं लगा सकते।
  2. 24×7 पैथोलॉजी और एक्स-रे मशीन की जरूरत:
    नोडल अधिकारी डॉ. राजेश सिंह के मुताबिक, क्रिटिकल मरीजों के लिए पैथोलॉजी और एक्स-रे जैसी सुविधाएं 24 घंटे उपलब्ध होनी चाहिए। लेकिन अभी तक यह व्यवस्था नहीं है।
  3. स्टाफ और दवाओं की कमी:
    यूनिट को 24×7 संचालित करने के लिए डॉक्टर, स्टाफ नर्स, वार्ड बॉय और सफाईकर्मी की तीन शिफ्ट में जरूरत है। साथ ही, जीवन रक्षक दवाओं की अनुपलब्धता भी बड़ी समस्या है।

डिमांड भेजी, पर कोई कार्रवाई नहीं

डॉ. राजेश ने बताया कि यूनिट के संचालन के लिए अगस्त 2024 में ही सीएमएस डॉ. दिग्विजय सिंह को डिमांड लेटर भेजा गया था। लेकिन अब तक कोई सुविधा नहीं मिली। जब इस संबंध में सीएमएस से बात करनी चाही गई तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

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सरकार की मंशा और धरातल पर सच्चाई में अंतर

योगी सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने का दावा कर रही है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। लेकिन वाराणसी के इस अस्पताल में करोड़ों की लागत से बनी यूनिट संचालन के अभाव में बेकार पड़ी है। पीडियाट्रिक क्रिटिकल यूनिट शुरू न होने से गंभीर स्थिति वाले बच्चों को बेहतर इलाज नहीं मिल पा रहा है। मरीजों को निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है, जो गरीब परिवारों के लिए आर्थिक रूप से मुश्किल साबित हो रहा है।

डॉ. राजेश सिंह ने कहा, “हमने सीमित संसाधनों के बावजूद एक मरीज को एडमिट किया है। लेकिन जब तक सभी जरूरी उपकरण और स्टाफ नहीं मिलते, यूनिट को पूरी तरह फंक्शनल करना मुश्किल है।”

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