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राष्ट्रीय

केंद्र सरकार ने जनगणना कराने की बनायी सहमति

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2026 में प्रकाशित होंगे रिपोर्ट

नई दिल्ली। चार साल के लंबे इंतजार के बाद केंद्र सरकार ने जनगणना कराने पर सैद्धांतिक सहमति बना ली है। यह जनगणना अगले साल शुरू होगी और इसकी रिपोर्ट 2026 में प्रकाशित की जाएगी। जनगणना में आमतौर पर धर्म, वर्ग और अनुसूचित जाति-जनजाति के आंकड़े इकट्ठा किए जाते हैं लेकिन इस बार संप्रदायों के आंकड़े भी जुटाने का प्रावधान किया जा सकता है। आजाद भारत में पहली जनगणना 1951 में हुई थी और उसके बाद से हर दस साल में यह प्रक्रिया दोहराई जाती रही है।

2021 में भी जनगणना होनी थी लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे टालना पड़ा था। जनगणना के बाद सरकार लोकसभा क्षेत्रों का परिसीमन कर 2028 में इसे अंतिम रूप देगी। इस जनगणना में डिजिटल तरीके से आंकड़े जुटाए जाएंगे‌ जिसके लिए एक विशेष पोर्टल तैयार किया गया है।

इस पोर्टल के जरिए धर्म और मतों से जुड़ी जातियों के आंकड़े भी इकट्ठा किए जाएंगे। इस बार धर्म वर्ग और एससी-एसटी से अलग लोगों से संप्रदाय की जानकारी भी मांगे जाने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है क्योंकि देश में कई वर्ग और जातियां हैं जो खुद को अलग संप्रदाय का मानते हैं।

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