धर्म-कर्म
नाटी इमली का भरत मिलाप: भाइयों के मिलन की बेला पर छलकीं आंखें, उमड़ा आस्था का जन सैलाब
वाराणसी। काशी के प्रमुख लक्खा मेले में शुमार नाटी इमली के मैदान में विश्व प्रसिद्ध भरत मिलाप का आयोजन का स्वरुप कोरोना के कारण भले ही बदल गया हो लेकिन गोधूलि बेला में सूर्यास्त के पहले होने वाले ऐतिहासिक भरत मिलाप के लिए काशीवाशियों में अब भी वैसा ही उत्साह है, जैसा कि कोरोना काल के पहले था।
राम की भक्ति का रंग काशी पर शनिवार को इस कदर चढ़ा कि कोरोना के प्रभाव के बावजूद नाटी इमली का हर कोना राममय हो गया। मौका था, 477 साल से भी अधिक पुरानी एवं ऐतिहासिक भरत मिलाप का। चारों भाइयों के मिलन की बेला में सूरज बादलों की ओट से झांकता रहा तो छतों, बारजों से लगातार पुष्पवर्षा होती रही। शिव की नगरी में राम की अयोध्या वापसी पर डमरूनाद से अलग आनंद प्रस्फुटित हो रहा था।
छतों, बारजों से लेकर हर कोने तक भीड़ अंटी रही। तिल रखने की जगह नहीं थी। राम के आगमन पथ के दोनों तरफ कतारबद्ध भीड़ खड़ी रही। चारो भाइयों के मिलते ही नाटी इमली के मैदान में चहुंदिशि हर हर महादेव के जयघोष गूंज उठा। मात्र 5 से 10 मिनट के इस लीला को देखने के लिए देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं, लेकिन बीते दो वर्ष में कोरोना संकट के कारण सांकेतिक आयोजन हुए थे।
बता दें कि पिछले साल कोरोना महामारी के प्रभाव के कारण नाटी इमली का भरत मिलाप लोहटिया स्थित अयोध्या भवन में ही आयोजित कराया गया था। इस बार भी आयोजन को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई थी, लेकिन बीते गुरुवार को कोविड प्रोटोकॉल के साथ आयोजन के लिए प्रशासन ने अनुमति दी। जिसके बाद आयोजन समिति की ओर से तैयारियां शुरू होने से श्रद्धालुओं के चेहरे भी खिल उठे।