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आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा- हम शांतिप्रिय देश हैं, एक-दूसरे का सम्मान करते हैं

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पिछले एक दशक में भारत-आसियान व्यापार लगभग दोगुना होकर 130 अरब डॉलर से अधिक हो गया है : नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को आसियान सम्मेलन के दौरान कहा कि भारत शांतिप्रिय राष्ट्र है, जो एक-दूसरे की राष्ट्रीय अखंडता और सम्प्रभुता का सम्मान करता है। भारत अपने युवाओं के उज्ज्वल भविष्य के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। इस समय जब दुनिया तनाव और संघर्ष का सामना कर रही है। भारत और आसियान के बीच मित्रता, समन्वय, संवाद और सहयोग का महत्त्व और भी बढ़ गया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने लाओस के वियनतियाने में आयोजित आसियान-भारत शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति ने नई दिल्ली और आसियान देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों को नई ऊर्जा दी है। उन्होंने वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों के मद्देनजर भारत-आसियान सहयोग को और बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

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प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि यह उनकी 11वीं आसियान बैठक में भागीदारी है और उन्हें गर्व है कि 10 साल पहले घोषित ‘एक्ट ईस्ट’ नीति ने दोनों क्षेत्रों के संबंधों को नई दिशा, ऊर्जा और गति प्रदान की है। उन्होंने भारत और आसियान के बीच साझेदारी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दोनों शांतिपूर्ण देश हैं, जो एक-दूसरे की सम्प्रभुता का सम्मान करते हैं और युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए काम कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत द्वारा आसियान देशों के साथ बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए की गई पहलों का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष समुद्री सुरक्षा और स्थिरता के लिए संयुक्त अभ्यास शुरू किया गया था। पिछले एक दशक में भारत-आसियान व्यापार लगभग दोगुना होकर 130 अरब डॉलर से अधिक हो गया है। भारत का सात आसियान देशों के साथ सीधा हवाई संपर्क है और जल्द ही ब्रुनेई के लिए भी सीधी उड़ान शुरू होगी।

प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि तिमोर-लेस्ते में नए वाणिज्य दूतावास की स्थापना की गई है। सिंगापुर के साथ फिनटेक कनेक्टिविटी की शुरुआत की गई है और इसे अन्य देशों में भी लागू किया जा रहा है। नालंदा विश्वविद्यालय में 300 से अधिक आसियान छात्रों को छात्रवृत्ति मिली है। भारत ने लाओस, कंबोडिया, वियतनाम, म्यांमार और इंडोनेशिया में साझी विरासत और संरक्षण के लिए भी कार्य किया है।

भारत ने आसियान के साथ विज्ञान, प्रौद्योगिकी, हरित और डिजिटल क्षेत्रों में सहयोग के लिए 30 मिलियन डॉलर का योगदान भी दिया है, जो दोनों क्षेत्रों के बीच तेजी से बढ़ते संबंधों को दर्शाता है।

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