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धर्म-कर्म

काशी की स्थापना के समय भगवान शंकर ने गुरु बृहस्पति को यहां दिया था स्थान

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देवों के गुरु बृहस्पति यहां साक्षात विराजते हैं

रिपोर्ट – श्रद्धा यादव

काशी मां गंगा के लिए जितना प्रख्यात है उतना ही विश्वनाथ मंदिर के लिए भी प्रख्यात है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब भगवान शंकर ने काशी नगरी की स्थापना की उस वक्त उन्होंने गुरु बृहस्पति को भी यहां रहने की जगह दी थी।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, गुरु बृहस्पति समूचे विश्व के देवों के गुरु हैं और यह मंदिर उन्हीं को समर्पित है। यहां साक्षात गुरु बृहस्पति विराजते हैं। ऐसी मान्यता है कि जब भगवान शिव ने काशी नगरी स्थापित की तब सभी देव मोक्ष नगरी में निवास करने के लिए उत्साहित थे।

गुरुदेव बृहस्पति के इस मंदिर का स्थान काशी के सभी मंदिरों में सबसे ऊंचा माना जाता है। बृहस्पति देव सभी नवग्रह में से प्रमुख माने जाते हैं। धन और बुद्धि के देवता को सभी पीली वस्तुएं पसंद है। इस मंदिर में लोग प्रार्थना पूरी होने पर हल्दी चंदन भी चढ़ाते है। जिन लोगों के ग्रह में मांगलिक दोष होता है अथवा विवाह में अड़चन आती है। गुरुवार के दिन यहां दर्शन पूजन करने से दोषों से मुक्ति मिलती है। गुरुवार के दिन गुरु बृहस्पति देव की पूजा आराधना का विशेष प्रावधान है।

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