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सियासत

पालघर में साधु हत्याकांड: चुनावी महौल में मुद्दा गायब

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मुंबई। महाराष्ट्र के पालघर जिले के गढ़चिंचले गांव में हुए दो साधुओं की हिंसा के मामले में जिले में अब कोई ‘मुद्दा’ नहीं दिख रहा है। इस घटना ने महाराष्ट्र सरकार को गहरी आलोचना का सामना करवाया था, पर अब लोकसभा चुनावों में भी यह मुद्दा पालघर जिले में उठाया नहीं जा रहा है।

जूना अखाड़ा के साधुओं के साथ हुई हिंसा के मामले में पुलिसकर्मी द्वारा साधुओं की सहायता की बजाय उन्हें हिंसक भीड़ के हवाले करने का आरोप था। इस वारदात के बाद उद्धव सरकार को विपक्ष ने निशाना बनाया था, लेकिन अब यह मुद्दा सामने नहीं आ रहा है।

इस मुद्दे को लेकर कुछ नेताओं ने साधुओं के परिवार को सहायता प्रदान की है, लेकिन पालघर जिले में इसे लेकर कोई बड़ा मुद्दा नहीं बना है। भाजपा नेता अभिषेक मिश्र और प्रेम शुक्ल के अनुसार, चुनावी माहौल में साधु हत्याकांड का मुद्दा अब भूला चुका है। लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर अपनी बात रखी है।

पालघर जिला आदिवासी बहुल जिला है और विकास के मुद्दों पर वहां की जनता को अधिक ध्यान जाता है। अब भाजपा वहां के विकास से जुड़े मुद्दों को उठा रही है। रही बात चार वर्ष पहले हुए साधु हत्याकांड की, तो उसे लोग भूले नहीं हैं। उसकी प्रतिक्रिया हिंदू जरूर व्यक्त करेगा। लेकिन अब वहां की जनता विकास और रोजगार के मुद्दों पर ज्यादा ध्यान दे रही है।

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